केदारनाथ प्रसाद में हाथ बंटा रहे समूह
उत्तराखंड चार धाम यात्रा प्रदेश की आजीविका को भी बढ़ा सहारा देती है। ऋषिकेश से लेकर चार धामों के मार्ग पर तमाम लोग इससे अपना रोजगार कमाते हैं। केदारनाथ प्रसाद में हाथ बंटा रहे समूह केदारनाथ मंदिर का प्रसाद महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है। इस साल 20 लाख रुपए से अधिक का प्रसाद बिकने की उम्मीद है। समूह केदारनाथ मंदिर वाले सोवेनियर बनाकर भी बेच रहे हैं। यात्रा रूट पर करीब 20 महिला समूह काम कर रहे हैं। साथ ही समूह मोटे अनाज और पहाड़ी उत्पाद हिलांस अपने स्टॉल लगाकर बेच रहे हैं। पयर्टकों के लिए जीएमवीएन के गेस्ट हाऊस में भी 500 रुपये कीमत के जूट के बैग में लोकल उत्पाद रखे गए हैं।
गंगोत्री: पयर्टक खूब खरीद रहे उत्पाद
उत्पादों की बिक्री के लिए प्रशासन ने 13 केंद्र बनाए हुए हैं। जहां इन दिनों कोदा, झंगोरा, फल की खूब बिक्री हो रही है। खासकर चंबा, आगराखाल, नरेंद्रनगर और धनोल्टी में समूह अच्छा कारोबार कर रहे है। सुरकंडा आजीविका समूह सुरकंडा मंदिर के लिए प्रसाद बनाने का भी काम करता है। इस तरह से उत्साह समूह नरेंद्रनगर और चंबा में फल प्रसंस्करण कर माल्टे का जूस, बुरांस का जूस आदि का कारोबार कर रहा है। स्थानीय स्तर पर राजमा, उड़द, गहथ भी बेची जा रही है।
यमुनोत्री मार्ग पर भी बिक रही हैं दालें
यमुनोत्री धाम में भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिला द्वारा स्वयं प्रसाद तैयार किया जाता है। मां ग्राम संगठन खरसाली से जुड़ी महिलाएं स्थानीय उत्पाद चौलाई से बने लड्डू, केदारपाती, मां यमुना मूर्ति यात्रियों को उपलब्ध करा रही हैं। यात्रा मार्ग पर रेणुका समिति, तनूजा स्वयं सहायता समूह, अन्नपूर्णा स्वंय सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं स्टॉल के माध्यम से श्रद्धालुओं को स्थानीय उत्पाद से तैयार आचार, झंगोरा, मडुवा, राजमा, गहत उपलब्ध करा रही है। जिसे आने वाले श्रद्धालु खरीदारी कर रहे है।
बदरीनाथ : भारत के प्रथम गांव माणा में चहल
बदरीनाथ धाम में स्थानीय महिला समूहों द्वारा प्रसाद की तैयारी की ज़ाती है । कपाट खुलते ही भारत के प्रथम गांव माणा में भी स्थानीय उत्पादों का कारोबार तेज हो गया है। यात्री यहां पहुंच ग्रामीणों के द्वारा बनाये गए उन के वस्त्र, कार्पेट, मफलर, टोपी, जड़ी बूटियां, भोज पत्र पत्तों की माला, वाल हेंगिंग के सोवेनियर खरीद रहे है।