परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ मेले को मानव एकजुटता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह मानवता, समानता और भाईचारे का महोत्सव…
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि महाकुम्भ मेला एकजुटता का प्रतीक है। महाकुम्भ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए मानव एकजुटता का सबसे बड़ा महोत्सव है। शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज जब विश्व में विभिन्न प्रकार के संघर्ष, आतंकवाद और असहमति फैल रही हैं। ऐसे में मानवता को एकजुट करने के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है। ताकि दुनियाभर में मानवता, समानता, और भाईचारे का संदेश प्रसारित हो सके। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी मानव हैं, और हमारा सबसे बड़ा उद्देश्य एक-दूसरे के साथ प्रेम और एकता से जीना है। उन्होने भारत की संस्कृति विश्व एकता की संस्कृति है। यहाँ पर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का संगम होता है। भारत ने हमेशा मानवता, समानता, और एकता का संदेश दिया है। भारत में अनेकता में एकता की भावना हमेशा से विद्यमान रही है। यह विविधता ही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत है। यहाँ पर विभिन्न धर्म, भाषा, जाति, और रंग के लोग रहते हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य एक ही है – समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण स्थापित करना।
उन्हेंने कहा कि प्रत्येक 12 वर्ष में होने वाला महाकुम्भ का यह आयोजन मानवता की एकजुटता का सबसे बड़ा प्रतीक है। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु एकजुट होकर सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक सौहार्द्र का प्रतीक बनते हैं। यह मेला सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है।