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जय माँ संतोषी जी आरती: पूजा विधि और लाभ – संतोषी माता के आशीर्वाद का स्वागत करें”

जय माँ संतोषी जी

 

About जय माँ संतोषी जी 

माँ संतोषी जी के बारे में

माँ संतोषी जी एक प्रमुख हिन्दू देवी हैं, जिनकी पूजा भारतीय समाज में विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। वह संतोष की देवी मानी जाती हैं और उन्हें “संतोषी माँ” या “संतोषी माता” के नाम से पुकारा जाता है। माँ संतोषी जी का पूजन करने का मुख्य उद्देश्य संतोष और खुशियाँ प्राप्त करना होता है।

विशेष रूप से, माँ संतोषी जी की पूजा का व्रत “संतोषी माता व्रत” के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भक्त एक सप्ताह तक या बढ़कर तीन सप्त

जय माँ संतोषी जी” का महत्व

जय माँ संतोषी जी” हिन्दू धर्म में माँ संतोषी जी की पूजा का एक महत्वपूर्ण आदर्श है। इस पूजा के माध्यम से भक्तगण अपनी माँ के प्रति अपने मनोबल और आस्था को दिखाते हैं। यह व्रत विशेष रूप से शुक्रवार को मनाया जाता है और भक्तगण देवी संतोषी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से इसका पालन करते हैं।

माँ संतोषी जी के व्रत में व्रती अक्षय पात्र, दीपक, अक्षत, सिंदूर, फल, पुष्प, और प्रसाद के रूप में मिठाई और फल होते हैं। व्रत का पालन भक्त को आत्मा की शुद्धि, शांति, और संतोष की अद्भुत अनुभव दिलाता है।

इस विशेष व्रत को करने से भक्त अपनी माँ के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रतीक देते हैं और संतोषी माता से अपनी सारी मनोकामनाएँ पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। यह व्रत सुख, समृद्धि, और परिवार के सुख-संपत्ति में वृद्धि के लिए भी जाना जाता है।

जैसे कि “जय माँ संतोषी जी” व्रत का महत्व बढ़ता जा रहा है, इसे सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ अपने जीवन में शामिल करने के लिए एक श्रद्धालु के रूप में अपनाने का अच्छा मौका हो सकता है। यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रमुख है, और इसका महत्व अपनी आस्था को मजबूत करने वाले शब्दों के साथ आपके सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन को भी सजावट देता है।

इसके अलावा, व्रत के महत्व के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए संबंधित कथाएँ और उपासना विधि के विवरण को सही तरह से व्यक्त करने में मदद कर सकते हैं। “जय माँ संतोषी जी” का पूरा आदर करने वाले भक्त अपनी माँ के प्रति अपनी विश्वासयात्रा को और भी गहरा बना सकते हैं

जय माँ संतोषी जी

जय माँ संतोषी जी आरती: संतोषी माता के आशीर्वाद का गान

जय माँ संतोषी जी आरती एक प्रमुख हिन्दू आरती है, जो संतोषी माता की पूजा के समय बड़े भक्ति भाव से गाई जाती है। यह आरती भक्तों के द्वारा माँ संतोषी जी के आशीर्वाद और सुख की प्राप्ति के लिए गाई जाती है।

जय माँ संतोषी जी आरती के बोल:

जय माँ संतोषी, माँ आरती उतारती, मूरति सुखदायक, माँ दुख भरती।

व्रत, उपवास करती, भक्तों की सुन लेती, पूजा सफल होती, आशीर्वाद देती।

तुम ही हो तुम माँ, तुम दुःख हरिणी, सबकी मनोकामना, तुम ही पूरण करिनी।

जय माँ संतोषी, तुमको नमामी, संतोष की देवी, माँ जय सन्तोषी।

यह आरती संतोषी माता की महिमा और महत्व का व्यक्तिकरण करती है और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए भक्तों को प्रोत्साहित करती है। संतोषी माता के आराधना के समय, इस आरती का गान भक्तों के द्वारा उनकी आराधना का हिस्सा बन जाता है, जिससे उन्हें आध्यात्मिक और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

इस आरती का पाठ करने से भक्त अपनी आराध्या के प्रति अपनी अनुराग और विश्वास को व्यक्त करते हैं और संतोषी माता के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

जय माँ संतोषी जी आरती:

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ..

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..

अधिक जानकारी के लिए www.devdhamyatra.com

 

 

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