माँ कात्यायनी (Maa Katyayani): शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की छठवीं शक्ति
नवरात्रि( Navratri) भारतीय हिन्दू समुदाय ka एक महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहार है | नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ होता है “नौ रातें“ और इसका मुख्य उद्देश्य देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और मां दुर्गा के रूपों के प्रति भक्ति और समर्पण का संकेत है। नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं| हर रूप के पूजा में अलग-अलग विधियों और पूजा समग्रियों का आयोजन होता है और भक्त अपनी भक्ति के साथ नौ दिन तक व्रत रखते हैं। नवरात्रि (Navratri) के उपलक्ष्य में, विभिन्न भागों में भारत में विशेष आयोजन और उत्सव होते हैं, जैसे कि गुजरात की गरबा, बंगाल की दुर्गा पूजा, और उत्तर भारत के डांडिया रास आदि। यह त्योहार धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है और लोग इसे खुशी-खुशी मनाते हैं, जब वे देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
इसका अर्थ है – पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं।
माँ कात्यायिनी | Maa Katyayani
माँ कात्यायिनी (Maa Katyayani) माँ दुर्गा ( Maa Durga) की छठवीं शक्ति है जो नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाती है। वे शक्ति और सुरक्षा की देवी हैं। माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) को युद्ध की देवी के रूप में जाना जाता है और इनकी पूजा और व्रत से लोग उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
स्कंद पुराण में इसका वर्णन है कि इस रूप का निर्माण भगवन के प्राकृतिक क्रोध के परिणामस्वरूप हुआ था । उसी तरह, वामन पुराण के अनुसार सभी देवताएं ने अपनी ऊर्जा को संग्रहित किया और कात्यायन ऋषि के आश्रम में एकीकृत किया, जिसके परिणामस्वरूप कात्यायन ऋषि ने उस ऊर्जा को एक देवी के रूप में प्रकट किया।
माँ कात्यायनी की पावन कथा: Story of Maa Katyayani
कात्यायनी देवी ( Katyayani Devi) की कथा पुराणों में लिखी गई है | यह कथा उनके छठे रूप के जन्म से सम्बंदित है जिसमे यह जानने को मिलेगा की माता का नाम कात्यायनी क्यों रखा गया था। इस कहानी के अनुसार, मां कात्यायनी (Maa Katyayani) का जन्म महिषासुर नामक दुर्जन राक्षस के खिलाफ युद्ध के लिए हुआ था।
इस कथा के अनुसार “कत” नामक एक महान ऋषि थे, उनके पुत्र का नाम कात्या था । इसी गोत्र में महर्षि कात्यायन पैदा हुए थे, जिन्होंने माँ भगवती पराम्बा की बड़ी कठिन तपस्या की थी और उनकी यह इच्छा थी की माँ दुर्गा उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म ले|
माँ दुर्गा ( Maa Durga) ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की कुछ वर्षों के पश्चात जब महिषासुर ( Mahishasur) का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ने लगा और जब उसने देवताओं को बहुत परेशान करने लगा था तब ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने अपना तेज देकर एक देवी को उत्पन्न किया जिसे हम मां कात्यायनी (Maa Katyayani) के रूप में जानते हैं। मां कात्यायनी का रूप लेकर देवी पार्वती ने महिषासुर के खिलाफ युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया। यह युद्ध महिषासुर के द्वारा किए जाने वाले अधर्म और दुष्ट कार्यों के खिलाफ था, और इसके माध्यम से मां कात्यायनी ने धर्म और सत्य की रक्षा की। मां कात्यायनी की शक्ति और साहस का प्रतीक भी इस कथा में दर्शाया गया है, और वे दुर्बलता और अधर्म के खिलाफ लड़ने के लिए सबको प्रेरित करती हैं।
कथा के अनुसार, मां कात्यायनी के अवतार के द्वारा महिषासुर का वध किया गया और उसका नाश किया गया, जिससे देवताओं को उनकी स्वतंत्रता मिली और धर्म की जीत हुई। इसलिए, मां कात्यायनी का आवागमन नवरात्रि के छठे दिन के रूप में मनाया जाता है और भक्तों को सत्य, धर्म, और न्याय के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की कथा नवरात्रि के महत्व को महत्वपूर्ण रूप से प्रकट करती है, और यह त्योहार धार्मिकता, आध्यात्मिकता, और सामाजिक एकता की महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में मनाया जाता है |
माँ कात्यायनी की पूजा विधि | Maa Katyayani ki pooja vidhi|
निम्नलिखित है माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) पूजा की विधि:
सामग्री:
- माँ कात्यायनी की मूर्ति या चित्रित प्रतिमा का छोटा सा रूप
- दूध, दही, घी, शक्कर, फल, फूल, सुपारी, इलायची, कुमकुम, चावल, सिन्दूर, नौका (अगर संभव हो तो)
- पूजन के लिए पुष्पमाला, धूप, दीपक, अगरबत्ती
- पूजन के लिए साफ़ स्थान (पूजा स्थल)
- नीला वस्त्र (यदि संभव हो)
पूजा विधि | Pooja Vidhi |
पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें |
- सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहन लें।
- इसके बाद मंदिर में पूजा के लिए स्थान तैयार करें|
- फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की मूर्ति रखें और दीपक जलाएं।
- इसके अलावा घर के अंदर मंदिर के बाहर आरती करें।
- धूप, अक्षत, फूल और मिठाई उपहार स्वरूप भेंट करें।
- अपने मन में शक्ति और दृढ़ संकल्प की भावना पैदा करने के लिए मां कात्यायनी (Maa Katyayani) के बारे में सोचें और मंत्र का जाप करें।
माँ कात्यायनी मंत्र | Maa Katyayani Mantra|
नवरात्रि के छठे दिन हवन में मां कात्यायनी के इन मंत्रों का जाप किया जाता है।
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः ॥
मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
मां कात्यायनी का बीज मंत्र:
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
(विधि विधान से पूजा करने बाद लाल चंदन की माला से मां कात्यायनी के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं)
मां कात्यायनी कवच मंत्र
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी ।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी ॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी ॥
मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥ स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम् । वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥ पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम् । मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥ प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
मां कात्यायनी की आरती | Maa Katyayani ki Aarti
जय जय अंबे जय कात्यायनी ।
जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा ।
वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी ।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी ।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते ।।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की ॥
झूठे मोह से छुड़ानेवाली ।
अपना नाम जपानेवाली ।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो ।
ध्यान कात्यायनी का धरियो ।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
संक्षेप में
नवरात्री के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है और उनकी अद्भुत कथा को पड़ा जाता है | इस पूजा और कथा के माध्यम से हिन्दू धर्म के अनुयायी माँ कात्यायनी की पूजा करते हैं और उनके दिव्य शक्तियों का स्मरण करते हैं।
Author – Shubhi
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