आज हम आपको परिभाषित करेंगे परिवर्तिनी एकादशी के बारे में, जो कि 14 सितंबर 2024 को मनाई गई। यह विशेष एकादशी हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और इस दिन को लेकर भक्तों में खासा उत्साह देखा जाता है।रिवर्तिनी एकादशी का महत्व:परिवर्तिनी एकादशी, जिसे विष्णुपरिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है, अश्वयुज मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना का विशेष दिन है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और इसी के साथ मौसम में भी परिवर्तन होता है।
त्योहार की विशेषताएँ:
1. व्रत और उपवास: भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं और विशेष रूप से अन्न-जल का त्याग कर फल-फूल का सेवन करते हैं। व्रति इस दिन भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहते हैं।
2. पूजा-अर्चना: भक्तगण इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों में जाकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और भजन-कीर्तन का आयोजन भी होता है।
3. दान-पुण्य: इस दिन दान करने की भी विशेष मान्यता है। भक्तगण गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करके पुण्य अर्जित करते हैं।
मौसम परिवर्तन और धार्मिक आस्थाएँ:
परिवर्तिनी एकादशी के दिन को मौसम परिवर्तन से भी जोड़ा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की जागृति को मौसम में बदलाव के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह दिन गर्मी की समाप्ति और ठंडक के आगमन का संकेत होता है।
निष्कर्ष:
14 सितंबर को मनाई गई परिवर्तिनी एकादशी ने भक्तों को भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का एक और अवसर प्रदान किया। यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों और दान-पुण्य के माध्यम से आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति का संदेश देता है।
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