धनतेरस का महत्व
हिन्दू धर्म में धनतेरस का पर्व दीपावली के पहले दिन मनाया जाता है। धन के त्रयोदशी (तेरहवां) दिन, जिसका अर्थ है “तीनों धनों का दिन”, इस पर्व का नाम है “धनतेरस”। इस दिन लोग धन और सुख के लिए विशेष पूजा करते हैं। धनतेरस का महत्व कई कारणों से है। यह धन की देवी मां लक्ष्मी के आगमन का संकेत है। यह दिन घरों को सजाने, सफाई करने और दिव्य दीपों से सजाने का पर्व है।
धनतेरस के दिन लोग नए बर्तन (वस्त्र और उपकरण) खरीदते हैं। इसके पीछे विभिन्न कारण होते हैं, जैसे आर्थिक सुख संजीवनी, आर्थिक व्यवस्था की सुरक्षा, लक्ष्मी पूजा, नवा आरंभ, और परिपूर्णता की प्रतीक।
धनतेरस के दिन बर्तन खरीद के पीछे कुछ कारण हैं
- आर्थिक सुख का पुनर्जीवन: धनतेरस का दूसरा नाम धनत्रयोदशी है, जिसका अर्थ है “तीनों धनों का दिन”। धन, सफलता और स्वास्थ्य इससे जुड़े हैं। नए बर्तन खरीदकर लोग अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करते हैं।
- आर्थिक व्यवस्था का बचाव: धनतेरस पर नया बर्तन खरीदना परंपरागत है क्योंकि यह विभिन्न प्रकार की बुरी चीजों से बचाता है।
- लक्ष्मी की आरती: धनतेरस के दिन लोग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वे नए बर्तन खरीदकर उन्हें साफ और सुंदर रूप में पूजने के लिए तैयार करते हैं, जिससे मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
- नवाचार: नया बर्तन खरीदना एक नई नौकरी की शुरुआत हो सकता है। नए कपड़े और उपकरण पहनने से लोगों में एक नया आरंभ का भाव आता है।
- योग्यता का संकेत: धनतेरस पर नए बर्तन खरीदने से घर की आर्थिक स्थिति सुधरती है, जो घर में समृद्धि और परिपूर्णता की भावना को बढ़ाता है।
धनतेरस को बर्तन खरीदना मान्यता प्राप्त है शुभ
धनतेरस के दिन लोग बर्तन, सोना-चांदी और अन्य वस्तुएं खरीदते हैं। आज खरीदारी करना शुभ है। धनतेरस के दिन लोग बर्तन, चांदी और सोना खरीदते हैं क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि कोई वस्तु 13 गुना ज्यादा महंगी होगी। इस दिन लोग चांदी के लक्ष्मी-गणेश, सिक्के और अन्य वस्तुएं घर लाते हैं, ताकि घर में धन और लक्ष्मी की कृपा रहे। चांदी को चंद्रमा, जो शीतलता देता है, का प्रतीक माना जाता है।
इस तरह, धनतेरस के दिन नए बर्तन खरीदने का महत्वपूर्ण रूप से आर्थिक, धार्मिक, और सामाजिक संदेश होता है, और लोग इस दिन इस परंपरा का पालन करते हैं।