नरक चतुर्दशी
हिन्दू धर्म में नरक चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह भी छोटी दीपावली, काली चौदस, रोप छोड़ाई, रोपावली, यम चौदस, नरक चौदस, यमी छठ, रोज छठ आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन भगवान यमराज की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों में यम दीपक जलाते हैं और यमराज की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।
नरक चतुर्दशी कहानी:
नरक चतुर्दशी का एक महत्वपूर्ण भाग माता काली, भगवान कृष्ण और नरकासुर की कहानी है। कथा कहती है कि नरकासुर एक राक्षस राजा था जो अपनी क्रूरता और बल का दुरुपयोग करता था। उसने स्वर्ग का राजा बनने का दावा किया और देवताओं की शक्तियों को अपने वश में कर लिया। इस पर देवताओं ने अपनी बड़ी शक्ति के साथ माता काली से संपर्क किया और नरकासुर का समर्थन किया।
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नरक चतुर्दशी आरती
इस दिन विशेष आरती करने से व्यक्ति को सब सुख मिलता है।
हनुमान जी की पूजा
ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा संकट मोचन स्वामी तुम हो रणधीरा।। ॐ
पवन – पुत्र अंजनी – सुत महिमा अति भारी। दुःख दरिद्र मिटाओ संकट सब हारी।। ॐ
बाल समय में तुमने रवि को भक्ष लियो। देवन स्तुति किन्ही तबही छोड़ दियो।। ॐ
कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई। बाली बली मराय कपीशाहि गद्दी दिलवाई।। ॐ
जारि लंक को ले सिय की सुधि वानर हर्षाये। कारज कठिन सुधारे रधुवर मन भाये।। ॐ
शक्ति लगी लक्ष्मण के भारी सोच भयो। लाय संजीवन बूटी दुःख सब दूर कियो।। ॐ
ले पाताल अहिरावण जबहि पैठि गयो। ताहि मारि प्रभु लाये जय जयकार भयो।। ॐ
घाटे मेंहदीपुर में शोभित दर्शन अति भारी। मंगल और शनिश्चर मेला है जारी।। ॐ
श्री बालाजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत इन्द्र हर्षित मन वांछित फल पावे।।ॐ
मां काली की आरती
मां काली की आरती अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुन गाए भारती, हे
मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी |
दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी |
सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली, दुशटन को तू ही ललकारती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
माँ बेटी का है इस् जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता |
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता |
सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली, दुखीं के दुक्खदे निवर्तती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना |
हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना |
सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली, सतियो के सत को संवरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली |
वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली |
माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली, भक्तो के करेज तू ही सरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती | अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
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