Maulti Mandir Jharkhand: The forgotten beauty
Maulti Mandir Jharkhand झारखण्ड झारखण्ड जिसे गुप्त कशी भी कहा जाता है |
मलुटी एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान है जो दुमका जिला मुख्यालय से 55 किमी की दूरी पर दुमका रामपुरहट इंटरस्टेट राजमार्ग पर शिकारीपारा ब्लॉक में स्थित है। प्राचीन काल मई ये मंदिर की गिनती 108 थी जिसमे से 17 अभी भी प्रसिद्ध है | 1860 में मल्लुति को तत्कालीन राजा बसंत राय उर्फ बसंत द्वारा कर मुक्त पूंजी बना दिया गया था। इन मंदिर की दीवारों पाई टेराकोट्टा से रामायण और महाभारत की कथाओ का वरनन किया गया है | यह मल्लुति प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पुरातात्विक और धार्मिक आयातक जगह से जुड़ा हुआ है।
श्रृंखलाबद्ध मंदिरों के गांव ने पूरे देश में बनाई पहचान
2015 में गणतंत्र दिवस पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की मौजूदगी में दिल्ली में आयोजित समारोह में झारखंड की ओर से श्रृंखलाबद्ध मंदिरों के गांव मलूटी पर आधारित आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गयी थी। इस आकर्षक झांकी की प्रस्तुति से पूरे देश में यह गांव अपनी पहचान स्थापित कर चुका है। जिसे द्वितीय पुरस्कार भी मिला था।
ग्लोबल हेरिटेज फंड से संरक्षित
इतना ही नहीं इसे ग्लोबल हेरिटेज फंड से संरक्षित किया गया है, जिसे दुनिया की 12 वीं और भारत में एक मात्र सबसे अधिक लुप्तप्राय होती विकसित सांस्कृतिक विरासत स्थलों के रूप में घोषित किया गया है। दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र में श्रृंखलाबद्ध मंदिरों के गांव मलूटी को गुप्त काशी के नाम से भी जाना जाता है। जहां हर दिन भारी तादाद में मां मौलिक्षा के भक्त और पर्यटक दर्शन के लिए आते हैं।
Maulti Mandir Jharkhand झारखण्ड का इतिहास ?
Maulti Mandir Jharkhand के निर्माण १७ सुनतुरी से १९ संतरूय तक हुआ था | यह मंदिर निर्माण के समय 108 की तुलना मई थी जिन्हे राज बसंता नै बनाना शुरू किया था जो शिवजी की भक्त थी | इन मंदिरो की दीवारों पाई रामायण की कहानी और अध्याय खुदे हुए है जो हमें हमरै संस्कृति के बारे मै बताते है | मलूटी मंदिर झारखण्ड 5 भागो मई बता हुआ है जहा पहले राजा बसंता के उत्तराधिकारी निवास करते थे |
Maulti Mandir Jharkhand के ४ भाग है –
सबसे पहला भाग जिससे राज बरी भी बुलाया जाता है जहा राजा रखरचंद्र निवास करते थे | अगले भाग को माद्यम भरी के नाम से बुलाया जाता था क्युकी वह राजा के दूरसे भाई का निवास स्थान था और बाकी दो भागके नाम है शिकीर बरी और छै तरफ |
Maulti Mandir Jharkhand एक जगह जो हमरा संस्कृति को दिखती है लेकिन आज के समय इन मंदिरो की हालत बिगड़ते जा रही है क्युकी इंडियन गवर्नमेंट नै इन् मंदिरो को निर्जनता है. | इन् मंदिरो मई शिवजी को सबसे ज्यादा पूजा जाता है लेकिन इस समय पाई जो सषविंग वह स्थापित थे वह भी बंजर होरहे है | हम्मे अपनी संस्कृति को बचाना और हमारी संस्कृति से सीखने को मिले हममे ठोस कदम उठाने पढ़ेंगे ताकि मॉल्टी मंदिर झारखण्ड वापस निर्माणित और सुंदर हो पाए |
Maulti Mandir Jharkhand तक का सफर-
Maulti Mandir Jharkhand
मई प्रसिद्ध है लेकिन जो रेलवे स्टेशन मॉल्टी के सबसे नज़दीक है उसका नाम है रामपुरहाट रेलवे स्टेशन ,वेस्ट बंगाल मई मजूद है और मॉल्टी से १३ किलोमेटेर की धुरी पाई मजूद है | New Delhi to Ramppurhat trains
किसने बनाए गांव में इतने मंदिर?
1494-1519 के बीच बंगाल रियासत पर सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह का राज था. एक बार सुल्तान का पालतू बाज़ गुम हो गया. एक स्थानीय युवा, बसंत राय ने बाज़ को ढूंढा और सुल्तान को लौटाया| सुल्तान ने खुश होकर बंसत राय को मालुती और आस-पास का इलाका इनाम के रूप में दिया. आगे चलकर बसंत राय, राजा बाज़ बसंत के नाम से प्रचलित हुआ. इस क्षेत्र में उसी के वंशजों का राजा था, और मालुती उनकी राजधानी| Live History India के एक लेख के अनुसार, 17th-19th सदी के बीच बाज़ बसंत के परिवार ने यहां 108 टेराकोटा मंदिर बनवाए|
FAQ’S-
1- Can visitors participate in religious ceremonies and practices in the Maulti Mandir Jharkhand?
Yes, the visitors can participate and conduct religious ceremonies or pray in general in the Maluti temple Jharkhand. Shivji is the main God worshipped at the temples of Maluti.
2- Is there any entry free for the visit to Maulti Mandir Jharkhand?
There is no entry fee for the terracotta temples in Jharkhand you can enjoy the pleasant sightseeing for free.
3- What are the visitng hours for the temple?
The temples timing stats from morning to evening as per their are no strict timings followed and for more informaion you can contact the local people of Maluti or a tour guide.
4-Precautions that one should keep in mind before visitng?
The visitor should be mindful and careful about the terracotta temples ad not destroy the property because of the fragile nature of the artwork and the best time to visit Maluti is from October to March because of the serene weather.