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माता गंगा की आरती

आइये जानें क्या है माता गंगा आरती

देवी गंगा (About Devi Ganga)

देवी गंगा भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण देवी है। वह गंगा नदी का अवतार है और हिन्दू धर्म में इसे बहुत पवित्र माना जाता है। देवी गंगा को मां गंगा, गंगा मैया या गंगाजी भी कहा जाता है। देवी गंगा का आदर और समर्पण हिन्दू धर्म में अद्भुत आदर्शों और पूजा का प्रतीक है, जो प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिकता को जोड़ता है।

हिन्दू धर्म में गंगा नदी को मानवता के लिए शुद्धता का प्रतीक माना जाता है और इसे मोक्ष की प्राप्ति में सहायक माना जाता है। इसमें स्नान करने का विशेष महत्व है, और हिन्दू धर्म में गंगा स्नान को पापों की मुक्ति का साधन माना जाता है।

देवी गंगा की कहानी महाभारत, रामायण, और पुराणों में विस्तार से मिलती है। उनकी पुत्री भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर अवतारित करने के लिए ब्रह्मा जी से प्रार्थना की थी। गंगा अपने जल को धारित्री तक पहुंचाने के लिए भगीरथ के माध्यम से मानव लोक में आई थी।

मां गंगा बहुत ही निर्मल, विशाल और मोहक हैं, जो अपने सभी भक्तों को बहुत प्यार करती हैं। वो भगवान शिव के केश का आभूषण हैं। मां गंगा का स्वभाव हमेशा लोगों को देने की रही है। इसलिए मां गंगा की पूजा करने से इंसान के अंदर धैर्य, निर्मलता और प्रेम की भावना पनपती है। मां गंगा अपने भक्त को हर तरह का सुख प्रदान करती हैं।

माता गंगा आरती (About Mata Ganga Aarti)

माता गंगा आरती एक पूजा स्तुति प्रथा है, जो गंगा नदी को समर्पित है। यह पूजा साधकों और भक्तों द्वारा सम्पन्न की जाती है। इस पूजा विधि में लोग गंगा नदी को माता मानकर करते हैं। माता गंगा आरती में भक्तिभाव से गंगा माता की प्रशंसा की जाती है। इसमें गंगा नदी को शुद्ध, पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है और भक्ति के भाव से उसकी स्तुति की जाती है।

गंगा आरती के दौरान, पूजारी विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हैं और दीपकों को गंगा नदी के जल में सजाकर प्रज्ज्वलित करते हैं। गंगा आरती रात्रि में होती है।

इसके साथ ही, विशेष संगीत और भजनों का आदान-प्रदान भी होता है। यह पूजा का सार है गंगा की महिमा की स्तुति और भक्ति का अर्पण। भक्तिभाव से यह पूजा किए जाती है, जिससे लोग गंगा की पवित्रता में विश्वास करते हैं और उससे संतोष प्राप्त करते हैं।

माता गंगा आरती
माता गंगा आरती

माता गंगा आरती निन्मलिखित है:

हर हर गंगे, जय माँ गंगे,

हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

 

ॐ जय गंगे माता,

श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता,

मनवांछित फल पाता ॥

 

चंद्र सी जोत तुम्हारी,

जल निर्मल आता ।

शरण पडें जो तेरी,

सो नर तर जाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

 

पुत्र सगर के तारे,

सब जग को ज्ञाता ।

कृपा दृष्टि तुम्हारी,

त्रिभुवन सुख दाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

 

एक ही बार जो तेरी,

शारणागति आता ।

यम की त्रास मिटा कर,

परमगति पाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

 

आरती मात तुम्हारी,

जो जन नित्य गाता ।

दास वही सहज में,

मुक्त्ति को पाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

 

ॐ जय गंगे माता,

श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता,

मनवांछित फल पाता ॥

 

ॐ जय गंगे माता,

श्री जय गंगे माता ॥

नोट: और अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

माता गंगा के श्लोक (What are Mata Ganga ke Shlok?)

माता गंगा के श्लोकों की बात करें, तो ये विशेष शेर हैं जो गंगा नदी की महत्ता और पवित्रता को व्यक्त करते हैं। इन श्लोकों में गंगा को देवी और माता के रूप में समर्पित किया गया है, और इसे पूजा जाता है जिससे लोगों को शुभ फल प्राप्त हो। इन श्लोकों के माध्यम से हम गंगा को नहीं सिर्फ एक नदी मात्र के रूप में नहीं देखते, बल्कि उसे दिव्य शक्ति और शुद्धता की प्रतीक के रूप में भी मानते हैं।

माता गंगा को समर्पित कुछ श्लोक निन्मलिखित हैं:

  1. गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति।। – कहा जाता है कि जो गंगा दशहरा पर गंगा जी में स्नान कर लेता है उसपर शिव जी सदा मेहरबान रहते हैं। इस मंत्र को जपने पर गंगा स्नान करने वालों को मृत्यु के बाद यमलोक की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती।
  2. नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।। – यह गंगा माता का ये मंत्र सबसे शक्तिशाली माना जाता है। गंगा स्नान के समय 3 बार गंगा में डूबकी लगाते हुए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है इससे सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं, मनुष्य मृत्यु के बाद स्वर्गलोक में जाता है।
  3. गंगे यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।। – गंगा दशहरा पर गंगा में स्नान करते हुए इस मंत्र को बोलने से सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और हर कार्य में सफलता मिलती है।

माता गंगा आरती और हरिद्वार (Mata Ganga Aarti And Haridwar)

मां गंगा और हरिद्वार दोनों ही भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थल हैं। हरिद्वार भी गंगा के किनारे स्थित एक शहर है। हरिद्वार का अर्थ होता है “हरि का द्वार”। यहां हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहां लोग गंगा माँ में स्नान करने आते हैं और अपने पापों को धोकर शुद्ध होने का प्रयास करते हैं। हरिद्वार में हर कुंज नामक स्थान बहुत प्रसिद्ध है, जहां लोग गंगा आरती के दृश्य को देखने आते हैं और अपने धार्मिक अनुष्ठान के लिए यहां आते हैं।

मां गंगा और हरिद्वार
मां गंगा और हरिद्वार

इस प्रकार, माता गंगा और हरिद्वार दोनों ही हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल हैं जो उनकी श्रद्धा और भक्ति का केंद्र हैं। माता गंगा आरती सुबह और शाम के समय सभी गंगा घाटों पर की जाती है। यह गंगा नदी की महिमा को सार्थक बनाने के लिए की जाती है।

नोट: हमारे ग्रुप पैकेज की जानकारी के लिए क्लिक करें।

FAQs

प्र 1. देवी गंगा का दूसरा नाम क्या है?
उ 1. पुराणों के अनुसार स्वर्ग में गंगा को मन्दाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं।

प्र 2. गंगा नदी का महत्व क्या है?
उ 2. गंगा नदी को भारतीय सभी नदियों में सर्वोत्तम माना जाता है और इसे पवित्रता और शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे गंगा माता के रूप में पूजा जाता है।

प्र 3. गंगा कहाँ से निकलती है?
उ 3. गंगा नदी गोमुख, हिमालय के गौमुख ग्लेशियर से निकलती है और फिर यह दक्षिण की ओर बहती है।

प्र 4. मां गंगा के क्या अन्य नाम हैं?
उ 4. मां गंगा को जह्नवी, भागीरथी, त्रिपथगा, त्रिशिरा, शुभ्रा, विश्रुता, आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।

प्र 5. मां गंगा के साथ जुड़ी किस पुराणिक कथा है?
उ 5. मां गंगा के साथ जुड़ी प्रमुख पुराणिक कथा में भगीरथ की तपस्या और गंगा के पृथ्वी पर आगमन की कथा शामिल है।

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