छठ पूजा का महत्व
भारतीय राज्य बिहार की सांस्कृतिक धारा, जिसमें सूर्य देवता की पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है, छठ पूजा से जुड़ा हुआ है। यह उत्सव सुबह सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है। सूर्य देवता, जो शक्ति और स्वास्थ्य का प्रतीक है, छठ पूजा में विशेष रूप से पूजा जाता है। सूर्यास्त के समय पानी में बैठकर सूर्य देवता की पूजा करते हैं और पूजा करते हैं।
छठ पूजा व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को सफलता, स्वास्थ्य और परिवार मिलेगा। यह व्रत धन और सुख के लिए किया जाता है। छठ पूजा के दौरान व्रती और उनके परिवारों ने विशिष्ट छठ गीतों और नृत्यों के साथ विविध परंपराओं का पालन किया। छठी मैया की मूर्ति के साथ सुंदर अलंकार और जीवंत गायन महोत्सव को जीवंत बनाते हैं।
छठ पूजा सूर्योदय को अर्घ्य देने के नियम
एक लोटे में जल लेकर कुछ बूंदें कच्चा दूध मिलाएं। लालचन्दन, चावल, लालफूल और कुश को इस पात्र में डालकर प्रसन्न मन से सूर्य की ओर मुख करके कलश को छाती के बीचों-बीच रखकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल को धीरे-धीरे प्रवाहित करके भगवान को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि देना चाहिए।
अब कलश की धारा के किनारे पर देखो, तो सूर्य का प्रतिबिम्ब एक छोटे बिंदु के रूप में दिखाई देगा. अकेले देखने पर सप्तरंगों का वलय भी दिखाई देगा। अर्घ्य करने के बाद सूर्यदेव को तीन बार परिक्रमा करें। टोकरी में ठेकुवा और फल डालकर सूर्य देव की पूजा करें।
छठ पूजा सूर्य को अर्घ्य देने के फायदे
प्रातःकाल, मध्यान्ह और सायंकाल में सूर्य की पूजा करना बहुत फायदेमंद है। सूर्य को प्रातःकाल पूजना आपके स्वास्थ्य को बेहतर करता है। मध्याह्न की पूजा नाम-यश देती है। सायंकाल की पूजा संपन्नता देती है। सूर्य की दूसरी पत्नी प्रत्यूषा को अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है। अस्ताचलगामी सूर्य की पूजा करने वालों को प्रातःकाल भी करना चाहिए।
छठ पूजा मंत्र
सूर्य को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का जाप करें, इससे छठ पूजा का लाभ बढ़ेगा।
सर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि है।
मां अनुकम्पय भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:
नमः सूर्य, आदित्य, भगवान। मैं अर्घ्य समर्पयामि।
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19 नवंबर को सूर्य अस्त होने का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार छठ के तीसरे दिन सूर्य अस्त होता है। 19 नवंबर 2023 को शाम 5 बजे 26 मिनट पर सूर्यास्त होगा।
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