Chardham Yatra: आदिबदरी के भी कीजिए दर्शन
पर्यटन और तीर्थाटन के क्षेत्र में Adi Badri नया नाम नहीं है। यहां वर्ष में 11 माह मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। हालांकि Chardham Yatra की तरह यहां लाखों श्रद्धालु तो नहीं पहुंचते लेकिन साल में हजारों श्रद्धालु जरूर दर्शन करने आते हैं। इस बार यदि आप Chardham yatra करने की योजना बना रहे हैं तो आदिबदरी के दर्शन करने भी आ सकते हैं।
आदिबदरी 16 मंदिरों का समूह है। जिसमें 14 मंदिर अपनी पूर्व स्थिति में हैं, जबकि दो मंदिर भग्नावशेष हैं। मुख्य मंदिर में भगवान आदिबदरीनाथ जी की बहुत ही सुंदर नयनाभिराम प्रतिमा है। जहां भगवान आदिबदरीनाथ वरद मुद्रा में विराजमान हैं। यह मुद्रा ऋद्धि प्रदायक मानी जाती है। आदिबदरीनाथ जी के वक्ष पर लक्ष्मी जी का प्रतीक श्रीवत्स अंकित है। इस मूर्ति के बाहर 79 उपमूर्तियां उत्कीर्ण हैं।
पहले ठीक ऊपर नवग्रह पंक्ति है और दायीं और बायीं ओर विष्णु और शिव-पार्वती आसीन हैं। जबकि परिसर में काली मंदिर, शिव मंदिर, राम लक्ष्मण सीता मंदिर, हनुमान, गौरीशंकर, गणेश, विष्णु, गरुण, अन्नपूर्णा, चक्रभान, लक्ष्मीनारायण, सत्यनारायण, कुबेर, जानकी माता के मंदिर हैं।
पुजारी चक्रधर थपलियाल बताते हैं कि यह गढ़वाल मंडल का सबसे बड़ा मंदिर समूह है।
होटल, होमस्टे, शौचालय बने
मंदिर समिति के अध्यक्ष जगदीश बहुगुणा ने बताया कि इस बार यात्रा काल में रिकाॅर्ड तीर्थयात्रियों के पहुंचने की संभावना है। तीर्थयात्रियों को यहां पर नये होटल, होम स्टे खुलने के कारण रहने और खाने क अच्छी सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही पेयजल व सुलभ शौचालय की भी यात्रियों को अच्छी सुविधा मिलेगी।
ऐसे पहुंचे आदिबदरी
दिल्ली से ट्रेन के जरिये ऋषिकेश पहुंचा सकता है। वहीं ऋषिकेश से बस के जरिये कर्णप्रयाग होते हुए आदिबदरी पहुंच सकते हैं। यह मंदिर समूह कर्णप्रयाग से महज 20 किमी की दूरी पर है। जबकि कुमाऊं से गैरसैंण होते हुए भी यहां पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर गैरसैंण से महज 30 किमी दूर कर्णप्रयाग की ओर नैनीताल हाईवे पर स्थित है।
FAQ:
Question 1: आदि बद्री का स्थानीय नाम क्या है?
Answer 1: विष्णु निश्चित रूप से, बिद्रीनाथ का एक और नाम है इसलिए इस मंदिर को आदिबद्री भी कहा जाता है। यह पांच बद्रि (पंच बद्री) में से एक है, विशाल बद्री, योग-ध्यान बद्री, वृद्ध बद्री और भविष्य बद्री।
Question 2: आदि बद्री मंदिर कितना पुराना है?
Answer 2: हिंदू मंदिर और मूर्तियां , यमुनानगर आदि बद्री 9वीं शताब्दी के हिंदू मंदिरों का एक समूह है।
Question 3: आदि बद्री क्यों प्रसिद्ध है?
Answer 3: आदि बद्री उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंच बद्री का हिस्सा है। यह गुप्त काल से संबंधित सोलह मंदिरों का एक समूह है। इनमें नारायण मंदिर भी है, जहां विष्णु की तीन फीट ऊंची काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। यह स्थान बद्रीक्षेत्र के भीतर है, और बद्रीनाथ विष्णु का नाम होने के कारण, मंदिर को आदि बद्री के नाम से जाना जाता है।
Question 4: उत्तराखंड में 5 बद्री कौन कौन से हैं?
Answer 4: पंच बदरी हिन्दू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिने जाते हैं। ‘श्रीबदरी नारायण’, ‘आदि बदरी’, ‘वृद्ध बदरी’, ‘योग-ध्यान बदरी’ और ‘भविष्य बदरी’ को ही ‘पंच बदरी’ कहा गया है। देवभूमि उत्तराखण्ड में बदरी-केदार धाम का जितना महात्म्य है, उतना ही पंच बदरी और पंच केदार का भी है।
Question 5: बद्रीनाथ मंदिर में किसकी पूजा होती है?
Answer 5: भगवान बदरीनाथ जी का मन्दिर अलकनन्दा के दाहिने तट पर स्थित है जहां पर भगवान बदरीनाथ जी की शालिग्राम पत्थर की स्वयम्भू मूर्ति की पूजा होती है । नारायण की यह मूर्ति चतुर्भुज अर्द्धपद्मासन ध्यानमगन मुद्रा में उत्कीर्णित है । बताते हैं कि भगवान विष्णुजी ने नारायण रूप में सतयुग के समय यहाँ पर तपस्या की थी ।
Question 6: आदि बद्री का निर्माण किसने करवाया था?
Answer 6: ऐतिहासिक वृत्तांतों के अनुसार, आदि शंकराचार्य ने गुप्त काल के दौरान आदिबद्री सहित सप्त बद्री मंदिरों का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि उनका लक्ष्य सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी हिंदू धर्म का प्रचार करना था।