इस बार यात्रियों को केदारनाथ यात्रा के दौरान खच्चर, फेरीवालों और परिचालकों के बारे में पूरी जानकारी एक click में मिल सकेगी। इसके लिए प्रशासन गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग में तीन स्थानों पर स्वयंसेवा कियोस्क स्कैनर लगाएगा। यह सुविधा घोड़े और खच्चर संचालन को बेहतर बनाने में मदद करेगी। वहीं, शिकायतों का आसानी से निस्तारण किया जाएगा।
हाल के वर्षों में घोड़ों – खच्चरों के संचालन से आम यात्रियों को भी परेशानी हुई है। खच्चर संचालकों द्वारा पैदल यात्रियों से मनमाने ढंग से किराया से अधिक वसूले जाने के साथ अभद्रता की शिकायतें भी आती रही हैं। इतना ही नहीं, पिछले साल यात्रा मार्ग पर 351 घोड़ों और खच्चरों की मौत ने पूरी व्यवस्था को सवालों के घेरे में ला दिया है. घटना की सूचना केंद्र सरकार को देने के बाद व्यवस्था में सुधार के प्रयास किए गए। इसलिए इस बार घोड़ा-खच्चर के बेहतर संचालन से चलाने में प्रशासन कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है।
इसलिए अब गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग के तीन स्थानों पर तीन कियोस्क स्कैनर लगाए जाएंगे, ताकि यात्रा में शामिल घोड़ा- खच्चर, उसके मालिक, संचालक और वेंडरों की पूरी जानकारी मिल सके. इन कियोस्क के स्कैनर स्क्रीन पर खच्चर के टैग और फेरीवाले के रजिस्ट्रेशन कार्ड को टच करके इसमें शामिल व्यक्तियों की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। केदारनाथ यात्रा में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
कुछ इस तरह काम करती है यह कियोस्क मशीन
Kiosk एक ATM मशीन की तरह होता है. इसमें कंप्यूटर की हार्ड डिस्क, रैम आदि सभी इंस्टाल होते हैं। सभी डेटा हार्ड ड्राइव पर अपलोड किया जाता है। यह डेटा इंटरनेट पर चल रहे सॉफ़्टवेयर के माध्यम से कियोस्क स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है।
जेसे ही यात्री अल्ट्रा फ्रीक्वेंसी चिप युक्त कार्ड को स्क्रीन पर टच करते ही उसी समय एक-एक सूचना प्रदर्शित होने लगती है।
खच्चरों के संचालन में सुधार के लिए तीन स्थानों पर कियोस्क स्कैनर लगाए जाएंगे। इन स्कैनर के माध्यम से जानवर से लेकर उसके हॉकर व मालिक के बारे में जानकारी प्राप्त करना संभव है । इसके अलावा, एक फीडबैक सिस्टम स्थापित किया जाएगा ताकि यात्री सुविधाओं का feedback और rank कर सकें। ये सुविधाएं यात्रियों को उनकी यात्रा के दौरान व्यवस्था में सुधार करने में मदद करेंगी।