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सर्दिया नवरात्रि Day7 :जानिए माँ कालरात्रि(Maa Kaalratri) की पूजा विधि

नवरात्रि का सातवां दिन

नवरात्रि  हिन्दुओ का सबसे प्रमुख त्यौहार है| नवरात्रि  शब्द संस्कृत से उत्पन हुआ है जिसका अर्थ होता है नौ रातें|  इन नौ रातों के दौरान देवी माँ के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है| नवरात्री में देवी माँ की पूजा व आराधना नौ दिन तक की जाती है |जिसमे की नवरात्री के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना करते है| नवरात्रि  साल में चार बार आती है जिसे हम माघ, चैत्र, असाड़, और अश्विन मास में मानते है इस पर्व को पूरे  भारतवर्ष में उत्साह व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है|

नवरात्री में देवी के नौ रूप : 

  1. शैलपुत्री 
  2. ब्रमचारिणी  
  3. चंद्रघंटा  
  4. कूष्माण्डा  
  5. स्कन्दमाता  
  6. कात्यायनी  
  7. कालरात्रि  
  8. महागौरी  
  9. सिद्धिदात्री 

 

 माँ कालरात्रि (Maa Kaalratri) :

नवरात्र का सातवां दिन माँ कालरात्रि  के नाम से जाना  जाता है इसे माँ दुर्गा का सातवां रूप या अवतार भी कहा जाता है| इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा व उपासना की जाती है माँ कालरात्रि को व्यापक रूप से काली , महाकाली , भैरवी ,भद्रकाली ,चामुंडा ,चंडी अन्य कई विनाशकारी रूपों से जाना जाता है माना यह जाता है कि देवी माँ के इस रूप से सारी नकारात्मक ऊर्जा व शक्ति , राक्षस , भूत – पिच्छाक्ष, प्रेत आदि का नाश होता है| 

 

माँ कालरात्रि की पूजा विधि : 

माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना नवरात्री के सातवें दिन की जाती है| माँ  कालरात्रि को महायोगिनी ,महाकाली व शुभंकरी आदि कई नामो से  कहा जाता है| इस  दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए| माँ को पुष्प अर्पित करे , रोली व कुमकुम लगाए ,मिष्ठान व पंचमेवा से माता को भोग लगाए|माँ को शहद  का भोग लगाए व रातरानी पुष्प जो की मातारानी को अति प्रिय है उसे अवश्य अर्पित करे | 

 

पूजा सामग्री: 

  माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना  लिए नीचे दी  सामग्री गयी सामग्री अवश्य लाये: 

  • पूजा के  प्रतिमा 
  • रोली 
  • अक्षत 
  • चन्दन 
  • हवन सामग्री 
  • फूल 
  • शहद 
  • पंचमेव 

माँ कालरात्रि 

 

श्लोक: 

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा | वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||

अर्थ : इस श्लोक में यह कहा गया है की माता कालरात्रि के शरीर का रंग घने अन्धकार के सामान काला है परन्तु वह अंधकार का नाश करने वाली है | उनके सिर के पूरे बाल बिखरे हुए है और गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है| इनके तीन नेत्र है जो की ब्रमांड की तरह गोल है | जिनसे बिजली के सामान चमकीली किरणे निकलती रहती है| माँ की हर सांस से अगनि के सामान ज्वालाएं निकलती रहती है आपने चारो हाथो में लोहे का अस्त्र ,अभयमुद्रा ,खड्ग और वरमुद्रा किये हुए माँ आपने वहां गदर्भ पर सवार है |   

 

माँ कालरात्रि मंत्र (Ma Kaalratri Mantra)

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। 

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे माँ, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान कर। 

 ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः  

 

माँ कालरात्रि की आरती

 कालरात्रि जय-जय-महाकाली। 

 काल के मुह से बचाने वाली॥ 

 

 दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। 

 महाचंडी तेरा अवतार॥ 

 

पृथ्वी और आकाश पे सारा। 

 महाकाली है तेरा पसारा॥ 

 

 खडग खप्पर रखने वाली। 

 दुष्टों का लहू चखने वाली॥ 

 

 कलकत्ता स्थान तुम्हारा। 

 सब जगह देखूं तेरा नजारा॥ 

 

  सभी देवता सब नर-नारी। 

  गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥ 

 

  रक्तदंता और अन्नपूर्णा। 

  कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥ 

 

  ना कोई चिंता रहे बीमारी। 

  ना कोई गम ना संकट भारी॥ 

  

  उस पर कभी कष्ट ना आवें। 

  महाकाली माँ जिसे बचाबे॥ 

 

  तू भी भक्त प्रेम से कह। 

 कालरात्रि माँ तेरी जय॥ 

 

माँ कालरात्रि की पूजा  का महत्व: 

माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व यह है की इस पूजा से सभी कष्ट दूर होते है माता की पूजा अर्चना करने से नेगेटिव शक्तियो का नाश होता है कनकी माता का यह रूप दुष्टो व शत्रुओ का संहार करने वाला है | 

 

Author: Preeti

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