Title: “मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन – दशमी तिथि का दशहरा”
Meta Description: मां दुर्गा की प्रतिमा को दशमी तिथि को विसर्जित करने का महत्व और इसका अर्थ जानिए, दशहरा के पावन पर्व के इस महत्वपूर्ण पहलू को जान लीजिए
मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन – दशमी तिथि का दशहरा
मां दुर्गा की प्रतिमा को दशमी तिथि को विसर्जित करने का महत्व और इसका अर्थ जानिए, दशहरा के पावन पर्व के इस महत्वपूर्ण पहलू को जानकार रूप लीजिए।
मां दुर्गा का प्रतिमा विसर्जन एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो दशहरा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इसके साथ ही नवरात्रि का अवसर भी समाप्त होता है। दशहरा का अर्थ होता है ‘दस दिनों का त्योहार’ और इसे विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है।
मां दुर्गा की प्रतिमा मां दुर्गा की प्रतिमा नवरात्रि के पावन दिनों में पूजी जाती है। यह प्रतिमा चौघड़िया पूजा के साथ संगठित रूप में पूजी जाती है और देवी का आगमन मान्य किया जाता है। प्रतिमा को अलंकृत किया जाता है और विभिन्न प्रकार की धूप, दीप, फूल, और पुष्पांजलि से पूजा की जाती है।
दशमी तिथि का महत्व दशमी तिथि का महत्व विशेष रूप से हिन्दू पंचांग में होता है। इस दिन को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, और इसे विजय का प्रतीक माना जाता है। दशमी तिथि को आराम से चुनकर मां दुर्गा की प्रतिमा को विसरजित किया जाता है।
भगवान दुर्गा की पूजा का महत्व
भारतीय संस्कृति में मां दुर्गा की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। यह पूजा नवरात्रि के दौरान अधिक प्रमुख होती है, जब देवी दुर्गा की आराधना और पूजा की जाती है। मां दुर्गा को शक्ति की स्वरूपिणी माना जाता है, और उनकी पूजा से भक्तों को शक्ति, सुख, समृद्धि, और सम्पूर्णता की प्राप्ति होती है।
मां दुर्गा की पूजा की विधि
मां दुर्गा की पूजा को एक निश्चित विधि के साथ करना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां हम आपको मां दुर्गा की पूजा करने की सामान्य विधि का वर्णन कर रहे हैं:
- पूजा की तैयारी:
पूजा की तैयारी में पहले से ही सभी सामग्री को तैयार कर लें। आपको जरूरत होगी:
– मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र
– पूजा की थाली
– रोली, अक्षत, कुमकुम, और दिये
– फूल, फल, और पूजनीय पदार्थ
- पूजा का समय:
मां दुर्गा की पूजा शुभ मुहूर्त में करें, जैसे कि प्रातःकाल या संध्या काल।
- पूजा का आरंभ:
पूजा की शुरुआत करने से पहले, अपने मन को शुद्ध और ध्यान में लाने के लिए ध्यान दें।
- मां दुर्गा का आराधना: मां दुर्गा की मूर्ति को पूजा स्थल पर रखें और उन्हें वाणी के मंत्रों के साथ पूजें। कुमकुम, रोली, अक्षत, और दिये का उपयोग कर मां की मूर्ति को सजाकर पूजें /
- पूजा के मंत्र:
मां दुर्गा की पूजा के लिए “दुर्गा चालीसा” और “दुर्गा सप्तशती” जैसे मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं।
- प्रार्थना और प्रसाद:
पूजा के बाद, मां दुर्गा से अपनी मनोकामनाएँ मांगें और फिर प्रसाद को सभी के साथ बाँटें।
मां दुर्गा की पूजा एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव है जो शक्ति और प्राशस्ति की ओर एक बढ़ता हुआ मार्ग दिखाता है। इस पूजा को नियमित रूप से करके आप सुख, समृद्धि, और सम्पूर्णता की प्राप्ति कर सकते हैं।
इस नवरात्री क्या है माता दुर्गा की सवारी ? जाने आगमन और प्रस्थान के शुभ और अशुभ प्रभाव।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इसमें मां दुर्गा की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे दुख, दर्द दूर हो जाते हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल शारदीय नवरात्रि में माँता रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी.
माता का आगमन शुभ और अशुभ किन स्थितियों में माना जाता है ? और माता के आगमन का क्या प्रभाव पड़ता है ?
नाव पर सवार माता का आगमन शुभ माना जाता है। अगर नवरात्रि का समापन रविवार और सोमवार के दिन हो रहा हैं तो मां दुर्गा भैंसे पर सवार होकर जाती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता । इसका मतलब है कि देश में शोक और रोग बढ़ेंगे। वहीं शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां जगदम्बे मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं।
विजयदशमी की तारीख़ एवं समय।
विजयादशमी की तारीख: पंचाग के अनुसार, इस साल में आश्विन माह शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर 2023 को शाम 5 बजकर 44 मिनट से होगी और 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इसलिए इस तिथि के अनुसार, इस साल 24 अक्टूबर 2023 को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा।
आइए जानते हैं दशहरे के दिन शस्त्र पूजा और रावण दहन का मुहूर्त क्या है.
पंचाग के अनुसार, इस साल में आश्विन माह शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर 2023 की शाम 5 बजकर 44 मिनट से होगी और 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. इस मुहरत के अनुसार आप रावण देहें कर सकते है।
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