तुलसी विवाह
हिंदू धर्म में कार्तिक महीने का अधिक महत्व है। भगवान विष्णु इस महीने शुक्ल पक्ष की एकादशी को चार महीने की नींद से जागते हैं। उनके जागने के बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, तुलसी और शालिग्राम का विवाह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही होता है। तुलसी विवाह करवाने से मोक्ष के द्वार खुलते हैं और कन्यादान के समान लाभ मिलता है।
और शालिग्राम की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। शादीशुदा जीवन भी खुशियों से भरा रहता है। इसलिए जानते हैं। ज्योतिषाचार्य मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि इस वर्ष 23 नवंबर कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह होगा। भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह इसी दिन होगा।
तुलसी विवाह मुहूर्त
22 नवंबर को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रात 11.03 बजे से शुरू होगी। 23 नवंबर की रात 9 बजे इसका समापन होगा। एकादशी तिथि पर रात्रि पूजा का मुहूर्त शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक रहता है। तुलसी विवाह इस मुहूर्त में आप चाहें तो कर सकते हैं।
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तुलसी विवाह की पूजा विधि
- तुलसी विवाह करने से पहले लकड़ी की एक चौकी पर आसन रखें।
- गेरू से गमले को रंगें और चौकी के ऊपर तुलसी जी को रखें।
- दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाकर शालिग्राम रखें।
- दोनों चौकियों पर गन्ना डालें।
- अब एक कलश में जल डालकर उसमें पांच या सात आम के पत्ते डालें. फिर पूजा स्थल पर उनके पत्तों को स्थापित करें।
- फिर तुलसी और शालिग्राम के सामने घी का दीपक जलाकर रोली या कुमकुम से तिलक करें।
- तुलसी को बिंदी, चूड़ी या अन्य सामग्री से सजाओ।
- अब चौकी सहित शालिग्राम को हाथों में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा करें।
- पूजा समाप्त होने पर तुलसी और शालिग्राम की आरती करें और उनसे सौभाग्य और सुख की कामना करें।
प्रसाद भी सभी को दें।
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान फल मिलता है, इसलिए अगर किसी को कन्या नहीं है तो उसे तुलसी विवाह करके कन्यादान का पुण्य कमाना चाहिए। विधि-विधान से तुलसी विवाह करने वाले व्यक्ति को मोक्ष मिलेगा। साथ ही भगवान शालिग्राम और तुलसी का विधिवत पूजन मनोकामनाओं को पूरा करता है।
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