जानिए कैसे शुरू हुई कांवड़ यात्रा और कौन थे यहां के पहले कांवड़िए

कावड़ यात्रा

भगवान शिव की भक्ति में डूबे रहने का सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो चुका है। 10 जुलाई को आस्थावानों  ने पहला सोमवार का व्रत रखा। इस पवित्र महीने में व्रत रखने के अलावा श्रद्धालु कांवड़ में गंगा जल भरकर कांवड़ यात्रा में भी हिस्सा लेते हुए दिखाई दिए।

इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि सावन माह में कांवड़ यात्रा निकालने के पीछे क्या धर्म है और सबसे पहले कांवड़िए कौन थे-

पहले ऐसा माना जाता था कि पहली कांवड़ यात्रा भगवान परशुराम ने की थी। माना जाता था कि उन्होंने कांवड़ में गंगाजल भरकर उत्तर प्रदेश में बागपत के निकट महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान पशुराम गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जल लाए थे उसे कांवड में डाला और उससे शिव का अभिषेक किया। इस बीच पहले कांवड़िए में श्रवण कुमार का नाम भी आता है। मान्यता है कि त्रेता युग में अपने अंधे माता-पिता को श्रवण कुमार ने कांवड़ में बैठाया और तीर्थयात्रा पर ले गए थे। वह उन्हें हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए लाए और वापस जाते समय गंगा जल लेकर गए और तब से कांवड़ यात्रा शुरू हो गई। कुछ प्रचलित मान्यताओं में भगवान राम को प्रथम कांवड़ यात्री भी माना जाता है। बिहार के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगा जल लाकर बाबा धाम के शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है।

Follow Us

Most Popular

Get The Latest Updates

Subscribe To Our Weekly Newsletter

Notifications only about new updates.

Share:

Facebook
Twitter
Pinterest
LinkedIn

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *