माता पार्वती के बारे मै ( About Mata Parvati )
माता पार्वती, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवी मां के रूप में पूजी जाने वाली देवी हैं। वह प्रकृति और शक्ति की प्रतीक हैं और उन्हें हिन्दू त्रिमूर्ति का एक हिस्सा माना जाता है, जो तीनों देवताओं – ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के साथ त्रिमूर्ति बनती हैं। पार्वती की अन्य प्रसिद्ध नाम भी हैं, जैसे कि गौरी, उमा, दुर्गा, काली, आदि, जो उनके विभिन्न स्वरूपों को प्रकट करते हैं.
पार्वती देवी का विवाह प्रभु शिव से हुआ था, और वे शिव पुरुष और पार्वती प्रकृति का प्रतीक माने जाते हैं। उन्हें अक्षमला और गौरी भी कहा जाता है, जो उनके सौंदर्य को दर्शाते हैं. पार्वती देवी भगवान शिव की सख्ती और सुख की प्रतीक मानी जाती हैं, और उनका विवाह प्रेम और सामंजस्य के प्रतीक के रूप में दिखाया जाता है.
पार्वती देवी का दर्शन हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में होता है, जैसे कि अमरनाथ, वैश्णोदेवी, और केदारनाथ आदि, जो भक्तों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल हैं. पार्वती देवी की पूजा और उनकी आराधना हिन्दू धर्म के अनुसरणकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है, और वे धर्म, सामाजिक नैतिकता, और आध्यात्मिक उन्नति के प्रतीक के रूप में मानी जाती हैं.
माता पार्वती देवी के बिना हिन्दू धर्म की पूजा अधूरी मानी जाती है, और उनकी कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है, जो भक्तों के जीवन को सफलता, शांति, और सुखमय बनाती है।
माता पार्वती आरती ( Mata Parvati Aarti)
ॐ जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता,
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता।
ॐ जय पार्वती माता॥
अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता।
ॐ जय पार्वती माता॥
सिंह का वाहन साजे, कुण्डल है साथा,
देव बंधू जस गावत, नृत्य करत ताथा।
ॐ जय पार्वती माता॥
सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता।
ॐ जय पार्वती माता॥
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता,
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा।
ॐ जय पार्वती माता॥
सृष्टि रूप तुही जननी शिवसंग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लाही है हाथन मदमाता।
ॐ जय पार्वती माता॥
देवन अरज करत हम कवचित को लाता,
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता।
ॐ जय पार्वती माता॥
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता,
सदा सुखी नित रहता, सुख सम्पत्ति पाता।
ॐ जय पार्वती माता॥
ॐ जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता,
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता।
ॐ जय पार्वती माता॥
माता पार्वती की आरती एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक आराधना है, जिसमें भक्तगण देवी पार्वती, जिन्हें गौरी, उमा, दुर्गा, और काली भी कहा जाता है, की महिमा का स्तुति करते हैं। यह आरती माता पार्वती की शक्ति और सौंदर्य को स्तुति करने के लिए गाई जाती है और उनके पूजन के समय भक्तों द्वारा गाई जाती है.
आरती के शब्द देवी की महिमा और विशेषता को बयां करते हैं। इसमें उनके सौंदर्य, भक्ति, और शक्ति की प्रशंसा होती है. आरती में देवी की छवि को सुंदरता के साथ चित्रित किया जाता है, जिसका मतलब है कि वह आपके समस्त संकटों को दूर करती हैं और आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाती हैं.
माता पार्वती की आरती को भक्तिभाव से गाने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है. इस आरती के गाने से व्यक्ति का मानसिक स्थिति शांत होता है और वह देवी की कृपा का आभास करता है. माता पार्वती की आरती के रूप में, भक्तिभाव से ध्यान और आराधना किया जाता है, जो एक व्यक्ति के आत्मिक और मानसिक विकास में मदद करता है।
इस आरती के गाने से भक्त अपने आत्मा को पारंपरिक धार्मिक मूल्यों के साथ जोड़कर आध्यात्मिक अवबोध करते हैं और एक ऊँचे आदर्श की ओर अग्रसर होते हैं।
FAQs
Q-1 पार्वती पूर्व जन्म में कौन थी?
A-1 पार्वती पूर्वजन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थीं तथा उस जन्म में भी वे भगवान शंकर की ही पत्नी थीं।
Q-2 शिव ने पार्वती से कितनी बार विवाह किया था?
A-2 इनमें पहली देवी सती और दूसरी माता पार्वती. वहीं, अगर हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो महादेव ने एक दो नहीं बल्कि चार विवाह किए थे. उनके सभी विवाह आदिशक्ति से ही हुए थे.
Q-3 माता पार्वती ने कितने अवतार लिए?
A-3 कैलाश पर्वत के ध्यानी की अर्धांगिनी मां सती पार्वती को ही शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है।
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