भाई दूज(Bhai Dooj) : तिथि, अनुष्ठान-All in1 Amazing & Sprituial guide

भाई दूज : तिथि, अनुष्ठान और भाई-बहन के प्यार का त्योहार"

About Bhai Dooj(भाई दूज)

भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊं, स्नेह भरी अभिव्यक्ति देकर तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊं, आ भैया तुझे तिलक लगाऊं

भैया दूज हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भारत में मनाया जाता है। यह पर्व दीपावली के बाद, दूसरे दिन के रूप में आता है और भाई-बहन के संबंधों का महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह एक दिन का पर्व होता है, जिसे खास उत्सवों और मिठाइयों के साथ मनाया जाता है।

पर्व का महत्व:

भैया दूज का महत्व भाई-बहन के संबंधों को मजबूती देने में है। यह एक दिन होता है, जब बहन अपने भाई का स्वास्थ्य और लम्बी आयु की कामना करती है और उन्हें खुशियों की लम्बी जीवन की कामना करती है। भाई इस दिन अपनी बहन के प्रति अपना संकीर्ण प्यार और आभार व्यक्त करते हैं।

उत्सव की तैयारियाँ:

भैया दूज के दिन बहन अपने भाई की खुशियों के लिए खास मिठाइयाँ तैयार करती हैं। वे अपने भाई के पसंदीदा वस्त्र खरीदती हैं और उनके लिए खास तरह की तैयारियाँ करती हैं।

भाई दूज(Bhai Dooj) भारतीय परंपरागत त्योहारों में से एक है जो द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे “भाई दूज”(Bhai Dooj) के नाम से जाना जाता है, और यह त्योहार भारतीय समाज में भाई-बहन के प्यार और बंधन का प्रतीक है। इस दिन, बहन अपने भाई की लंबी और सुरक्षित जीवन की कामना करती है और उन्हें प्रसाद देती हैं। भाई भी अपनी बहन के साथ खुशियों को साझा करते हैं और उनकी देखभाल करते हैं। यह त्योहार बंधनों की मजबूती और प्यार का प्रतीक है और परिवारों के बीच खुशी और एकता को बढ़ावा देता है।

भाई दूज(Bhai Dooj), भारतीय परंपरा में भाई-बहन के प्यार का त्योहार है, जो द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु और सुख-शांति की कामना करती है, और उन्हें आदर और प्रसाद देती है। Bhai Dooj त्योहार भाई-बहन के बीच प्यार और बंधन को मजबूत करने का मौका प्रदान करता है।

भाई दूज : तिथि, अनुष्ठान और भाई-बहन के प्यार का त्योहार"

भाई दूज (Bhai Dooj)कैसे मनाएं

भाई दूज(Bhai Dooj), भाई और बहन के बीच के रिश्ते का जश्न मनाने वाला हिन्दू त्योहार है, जो आमतौर पर दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यहां बताया गया है कि आप भाई दूज कैसे मना सकते हैं:

      1.तैयारी:

    • Bhai Dooj mai बहनें अपने घरों को साफ-सफाई और सजावट के लिए तैयार करती हैं।
    • बहने अपने भाइयों के लिए उपहार, मिठाई और अन्य उपहार खरीदती हैं।
  1. तिलक समारोह:

    • भाई दूज (Bhai Dooj)के दिन, बहन अपने भाइयों का आरती करती है और उनकी माथे पर तिलक लगाती हैं। आमतौर पर तिलक वर्मिलियन, चावल के दाने, और केसर की मिश्रण से बनाया जाता है.
  2. उपहारों का आदान-प्रदान:
    • Bhai Dooj mai बहने अपने भाइयों को प्यार और स्नेह का प्रतीक के रूप में उपहार और मिठाई देती हैं.
    • भाइयों द्वारा उत्तरदान के रूप में, वे अपनी बहनों को उपहार या धन भी देते हैं.
  3. भोजन:

    • परिवार आमतौर पर एक खास भोज के लिए एकत्र आता है, जिसमें भाईयों के पसंदीदा व्यंजन और मिठाई शामिल होती है.
  4. समय एक साथ बिताना:
    • भाई और बहन एक साथ गुजरते हैं, किस्से सुनते हैं और यादें साझा करते हैं.
  5. आरती और आशीर्वाद:
    • बहने अपने भाइयों के लिए उनके भलाइ, समृद्धि और लंबी आयु की कामना करती हैं.
    • भाइयों द्वारा, वे अपनी बहनों को आशीर्वाद और सुरक्षा देते हैं.
  6. शुभकामनाएं एक-दूसरे को बदलना:
    • इस दिन को आगामी सुख, स्वास्थ्य, और सफलता के लिए अच्छी शुभकामनाएं बदलने का समय भी माना जाता है.
  7. बंधन को मजबूत बनाना:
    • भाई दूज केवल रिवाजों के बारे में ही नहीं, बल्कि भाई-बहन के बीच के बंधन को मजबूत करने के बारे में भी है, आपसी प्यार और आभार प्रकट करने का समय है.
  8. परंपराओं का मानना:
    • विशेष प्रांतों से अलग-अलग रीति-रिवाजों का पालन करने की निर्देशिकाएँ हो सकती हैं, लेकिन त्योहार की सार्थकता हमेशा वैसी ही रहती है। और अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहें अपने राज्य से 

भैया दूज(Bhai Dooj) पूजन विधि

(Bhai Dooj) में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं। उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए मंत्र बोलती हैं कि ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे, मेरे भाई की आयु बढ़े’। एक और मंत्र है- ‘सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे’ इस तरह के मंत्र इसलिए कहे जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन अगर भयंकर पशु भी काट ले तो यमराज भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे। संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं।
(Bhai Dooj) ke दिन एक विशेष समुदाय की औरतें अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा करती है। स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम किया जाता हैं। वे इस दिन कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि यदि बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराये तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। (Bhai Dooj)  ke दिन बहनें भाइयों को चावल खिलाती है। यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है।

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भैया दूज पौराणिक कथा:

भैया दूज(Bhai Dooj) के संबंध में पौराणिक कथा इस प्रकार से है। सूर्य की पत्नी संज्ञा से 2 संतानें थीं, पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उन्हें ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहाँ से चली गई। छाया को यम और यमुना से अत्यधिक लगाव तो नहीं था, किंतु यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं।

यमुना अपने भाई यमराज के यहाँ प्राय: जाती और उनके सुख-दुःख की बातें पूछा करती। तथा यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए भी आमंत्रित करतीं, किंतु व्यस्तता तथा अत्यधिक दायित्व के कारण वे उसके घर न जा पाते थे।

एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक जा पहुँचे। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। बहन यमुना ने अपने सहोदर भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया। विविध व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया तथा भाल पर तिलक लगाया। जब वे वहाँ से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से कोई भी मनोवांछित वर मांगने का अनुरोध किया।

यमुना ने उनके आग्रह को देखकर कहा: भैया! यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रतिवर्ष आप मेरे यहाँ आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार किया करेंगे। इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे। इसी के साथ उन्होंने यह भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बचे रहेंगे।

यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया। तभी से बहन-भाई का यह त्यौहार (Bhai Dooj) मनाया जाने लगा। भैया दूज(Bhai Dooj) त्यौहार का मुख्य उद्देश्य, भाई-बहन के मध्य सद्भावना, तथा एक-दूसरे के प्रति निष्कपट प्रेम को प्रोत्साहित करना है। भैया दूज(Bhai Dooj) के दिन ही पांच दीनो तक चलने वाले दीपावली उत्सव का समापन भी हो जाता है।

(Bhai Dooj) ke अगर अपनी बहन न हो तो ममेरी, फुफेरी या मौसेरी बहनों को उपहार देकर ईश्वर का आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं। जो पुरुष यम द्वितीया को बहन के हाथ का खाना खाता है, उसे धर्म, धन, अर्थ, आयुष्य और विविध प्रकार के सुख मिलते हैं। साथ ही यम द्वितीय के दिन शाम को घर में बत्ती जलाने से पहले घर के बाहर चार बत्तियों से युक्त दीपक जलाकर दीप-दान करना भी फलदायी होता है।

भाई दूज(Bhai Dooj) एवं रक्षाबंधन के बीच समानता व अंतर:
भाई दूज (Bhai Dooj) एवं रक्षाबंधन दोनो ही भाई व बहन के बीच मनाया जाने वाले पर्व है। दोनों में पूजा करने के नियम भी लगभग समान ही हैं।

रक्षाबंधन में बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बँधती हैं जबकि भाई दूज(Bhai Dooj) के दिन माथे पर तिलक लगातीं हैं। भाई दूज(Bhai Dooj) पर मुख्यतया भाइयों का अपनी विवाहित बहनों के घर जाकर तिलक लगवाते हैं। जबकि रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई के घर आकर राखी/रक्षासूत्र बांधती हैं।

भाई दूज : तिथि, अनुष्ठान और भाई-बहन के प्यार का त्योहार"

भाई-बहन के प्यार का पर्व भैया दूज(Bhai Dooj)

भैया दूज(Bhai Dooj) के बारे में प्रचलित कथाएं सोचने पर विवश कर देती हैं कि कितने महान उसूलों और मानवीय संवेदनाओं वाले थे वे लोग, जिनकी देखादेखी एक संपूर्ण परंपरा ने जन्म ले लिया और आज तक बदस्तूर जारी है। आज परंपरा भले ही चली आ रही है लेकिन उसमें भावना और प्यार की वह गहराई नहीं दिखायी देती। अब उसमें प्रदर्शन का घुन लग गया है। पर्व को सादगी से मनाने की बजाय बहनें अपनी सज-धज की चिंता और तिलक के बहाने कुछ मिलने के लालच में ज्यादा लगी रहती हैं। भाई भी उसकी रक्षा और संकट हरने की प्रतिज्ञा लेने की बजाय जेब हल्की कर इतिश्री समझ लेता है। अब भैया दूज में भाई-बहन के प्यार का वह ज्वार नहीं दिखायी देता जो शायद कभी रहा होगा। भैया दूज (Bhai Dooj) महज तिलक लगाने एवं उपहार देने की परंपरा नहीं है। इसलिए आज बहुत जरूरत है दायित्वों से बंधे भैया दूज(Bhai Dooj) पर्व का सम्मान करने की। क्योंकि भैया दूज(Bhai Dooj) महज तिलक लगाने एवं उपहार देने की परंपरा नहीं है। लेन-देन की परंपरा में प्यार का कोई मूल्य भी नहीं है। बल्कि जहां लेन-देन की परंपरा होती है वहां प्यार तो टिक ही नहीं सकता। ये कथाएं बताती हैं कि पहले खतरों के बीच फंसे भाई की पुकार बहन तक पहुंचती तो बहन हर तरह से भाई की सुरक्षा के लिये तत्पर हो जाती। आज घर-घर में ही नहीं बल्कि सीमा पर भाई अपनी जान को खतरे में डालकर देश की रक्षा कर रहे हैं, उन भाइयों की सलामती के लिये बहनों को प्रार्थना करनी चाहिए तभी भैया दूज का यह पर्व सार्थक बन पड़ेगा और भाई-बहन का प्यार शाश्वत एवं व्यापक बन पायेगा।

(Bhai Dooj) अवसर पर, आपके लिए कुछ सुझाव

भाई दूज(Bhai Dooj), भारतीय समाज में भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है (Bhai Dooj)। (Bhai Dooj) हर साल द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और इसका महत्व अत्यधिक है। इस दिन, बहन अपने भाई की लंबी और सुरक्षित जीवन की कामना करती है और उन्हें विशेष रूप से प्रसाद तैयार करके खिलाती हैं।

  1. इस भाई दूज (Bhai Dooj)पर अपने भाई को उपहार दें, जैसे कि पसंदीदा खिलौना या व्यक्तिगत आवश्यकताओं का सामग्री।
  2. (Bhai Dooj) में भाई के साथ एक साथ समय बिताएं और खुशियों को बाँटें।
  3. (Bhai Dooj) में भाई के लिए एक विशेष शुभकामना संदेश लिखें जिसमें आप उनकी स्नेहभावना को व्यक्त करें। “और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें।”

 

 

 

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