devdhamyatra-logo
devdhamyatra-logo

जितिया व्रत कब है? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानें

जितिया व्रत

जितिया व्रत:

जितिया व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक उत्सव है जो भारत में महिलाओं के लिए समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। यह व्रत मां जीतो जी को समर्पित है, जिन्होंने भगवान विष्णु से तपस्या करते हुए वरदान मांगा था कि वे सभी महिलाओं को विभिन्न परेशानियों से बचाने के लिए जीतो जी का रूप धारण करेंगी। सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त होकर, जितिया व्रत महिलाओं को उनके अधिकारों और स्वतंत्रताओं के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करता है।

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त

6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से अभिजीत मुहूर्त होगा, जो 7 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। 6 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजे 46 मिनट से दोपहर 12 बजे 33 मिनट तक रहेगा। यह अबूझ मुहूर्त है जब आप पूजा कर सकते हैं।

जितिया व्रत की पूजन विधि निम्नलिखित है:

  1. जितिया व्रत को विशेष श्रद्धा और भावना से करना बहुत महत्वपूर्ण है।
  2. पूजा को एक स्वच्छ और शुद्ध स्थान पर करना चाहिए। एक खास आसन पर बैठें।
  3. माता के चित्र या मूर्ति के सामने अपने आसन पर बैठें।
  4. विधान पुस्तकें और मालाएं देखें।
  5. पूजन करने से पहले हाथ धोकर शुद्ध करें।।
  6. ध्यानपूर्वक भगवती जीतो जी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रसन्न करने का आह्वान करें।
  7. विधिवत पूजन करके व्रत भोजन करें।

जितिया व्रत को सही तरीके से आयोजित करने के लिए कुछ विशेष सावधानियां लेनी चाहिए:

जितिया व्रत में लहसुन, प्याज और मांसाहार नहीं खाना चाहिए। व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म शुद्ध होना चाहिए। पूजा का स्थान और आसन स्वच्छ होना चाहिए। सभी पूजन सामग्री भी स्वच्छ होनी चाहिए। व्रत के दौरान मां जी की पूजा बहुत भक्ति और आदर से करें। श्रद्धा और आत्मसमर्पण के साथ आराधना करने का प्रयास करें। सभी आवश्यक सामग्री को सही रूप से और पूरी तरह से तैयार करें। व्रत के दौरान शांतिपूर्वक बोलें। आत्मा को शांति और समाधान में रखने के लिए एक शांत, सकिंद्रिय वातावरण बनाएं। व्रत के दिन व्रत के अनुसार खाना बनाएं।

धन प्राप्त करने का तरीका

शुक्रवार को सफेद मिठाई दीजिए। इससे पैसे भी मिलेंगे और पैसे बचेंगे। अगर आप कारोबार बढ़ाना चाहते हैं तो शुक्रवार को गुलाबी फूल पर बैठी हुई लक्ष्मी जी की मूर्ति लगाएं। इसके बाद गुलाब का इत्र मां लक्ष्मी को दें। उसी इत्र को हर दिन सुबह प्रयोग करें। बाद में काम पर जाएं। स्फटिक की एक माला ले लें। गुलाब जल में उसे कुछ देर भिगो दें। अब उसी माला से 108 बार “ॐ श्रीं श्रीयै नमः” जाप करें। इस माला को पहनें।

व्रत की उत्पत्ति

पिता की महाभारत युद्ध में मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज था। वह सीने में बदले की भावना से पांडवों के शिविर में गया। शिविर में पांच व्यक्ति सो रहे थे। अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव मानकर मार डाला। माना जाता है कि सभी द्रौपदी को पांच संतानें थीं। अर्जुन ने अश्वत्थामा और उसकी सुंदर मणि को जेल में डाल दिया। क्रोधवश, अश्वत्थामा ने भी ब्रह्मास्त्र से अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला।

ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को अपने सभी पुण्यों का फल दिया। इस बच्चे को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया था। यही कारण है कि संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए हर साल जितिया व्रत रखने की परंपरा है।

 

 

 

 

 

 

 

Follow Us

Most Popular

Get The Latest Updates

Subscribe To Our Weekly Newsletter

Notifications only about new updates.

Share:

Facebook
Twitter
Pinterest
LinkedIn

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *