devdhamyatra-logo
devdhamyatra-logo

भगवान सत्यनारायण जी की आरती

भगवान सत्यनारायण

भगवान सत्यनारायण का परिचय

भगवान सत्यनारायण, हिन्दू धर्म में पूज्य और मान्य देवता हैं, जिन्हें सत्य का प्रतीक माना जाता है। वे परम पुरुषोत्तम रूप में जाने जाते हैं और उनकी पूजा भक्तों के द्वारा सच्चे मन से की जाती है। भगवान सत्यनारायण के पौराणिक कथा में उनकी कहानी बताई जाती है, जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। एक बार की बात है, एक गरीब ब्राह्मण अपने परिवार के साथ कठिनाईयों में फंस गए। उन्होंने भगवान सत्यनारायण की व्रत की पूजा की, जिससे उनका जीवन सुखमय और समृद्ध हो गया।

पूर्णिमा तिथि या किसी विशिष्ट अवसर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। भक्त इस पूजा के दौरान व्रतकथा पढ़ते हैं और भगवान की प्रतिमा की प्रशंसा करते हैं। पूजा के बाद, सभी व्रती अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं और प्रसाद को बाँटने का आदर किया जाता है।

श्री सत्यनारायणजी

भगवान सत्यनारायण की आरती

हिन्दू धर्म में, भगवान सत्यनारायण की आरती एक महत्वपूर्ण पूजा आरती है, जो पूजा के समय गाई जाती है। माना जाता है कि इस आरती का पाठ आपको भगवान सत्यनारायण की कृपा मिलती है और आपको सुख-शांति मिलती है। यह आरती उनके भक्तों द्वारा ध्यानपूर्वक और समर्पण भाव से गाई जाती है, जो उनकी आस्था और विश्वास को मजबूत करती है।

यहां भगवान सत्यनारायण की आरती का पाठ दिया गया है:

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥ जय लक्ष्मी… ॥

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे ।
नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥ जय लक्ष्मी… ॥

प्रकट भए कलि कारण, द्विज को दरस दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ जय लक्ष्मी… ॥

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।
चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी ॥ जय लक्ष्मी… ॥

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं ॥ जय लक्ष्मी… ॥

भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो ।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो ॥ जय लक्ष्मी… ॥

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों, दीन दयालु हरि ॥ जय लक्ष्मी… ॥

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा ।
धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥ जय लक्ष्मी… ॥

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे ।
तन-मन-सुख-संपति मनवांछित फल पावै॥ जय लक्ष्मी… ॥

भगवान सत्यनारायण का धार्मिक और सामाजिक महत्व

सत्यनारायण भगवान

भगवान सत्यनारायण का धार्मिक और सामाजिक महत्व हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है। यह धार्मिक और सामाजिक महत्व निम्नलिखित है:

धार्मिक महत्व भगवान सत्यनारायण का :

  1. हिन्दू धर्म के मानकों में एक महत्वपूर्ण पूजा प्रथा भगवान सत्यनारायण का पूजन है।
  2. इस पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान की पूजा करके आत्मिक और आध्यात्मिक विकास करना है।
  3. सत्यनारायण कथा के माध्यम से धार्मिक ज्ञान और मूल्यों को समझाया जाता है।
  4. भक्त इस पूजा करके भगवान से आध्यात्मिक सुख, संतुष्टि और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

सामाजिक मान्यता भगवान सत्यनारायण का :

  1. सत्यनारायण पूजा परिवारों और समुदायों को एक साथ पूजा करने के लिए प्रेरित करती है, जो एकात्मता और सामरस्य को समाज में बढ़ाती है।
  2. इस पूजा के दौरान जीवंत भागीदारी से समाज को एकजुट बनाया जाता है।
  3. सत्यनारायण पूजा का आयोजन सद्भावना और सामाजिक एकता को बढ़ाता है। विभिन्न समुदायों से लोग इस पूजा के अवसर पर एकत्र होते हैं और अच्छे कर्मों और भावनाओं के माध्यम से मिलते हैं।

भगवान सत्यनारायण की पूजा की विधि और विधान

भगवान सत्यनारायण जी की आरती
Shri Satyanarayan Ji Image

इस प्रकार भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है:

पूरी तैयारी:

  1. पूजा को एक साफ और शुद्ध स्थान पर करना चाहिए, जैसे पूजा घर, मंदिर या विशेष पूजा स्थल।
  2. पवित्र होने के बाद आपको पूजा की थाली, मन्त्रपुस्तक, कलश, फल, फूल, नारियल, घी, चावल और पूजा की सामग्री तैयार करनी होगी।

प्रारंभ:

  1. पूजा को पूर्णिमा या एकादशी के दिन या किसी विशेष तिथि और समय पर करें।
  2. पूजा आरंभ करने के लिए ध्यान देना आवश्यक है। प्रारंभिक ध्यान के बाद, ध्यान में बैठकर पूजा की पहली कथा पढ़ें।

पूजा की प्रक्रिया:

  1. पूजा शुरू होते ही श्री सत्यनारायण की मूर्ति को पूजा की थाली पर रखें।
  2. श्री सत्यनारायण की मूर्ति को पूजा करने के लिए पानी से धोकर सुखद कपड़े से ढक दें।
  3. श्री सत्यनारायण की मूर्ति के चारों ओर पूजा की थाली पर अक्षत चावल, नारियल, फल, पुष्प और दीपक रखें।
  4. पूजा के दौरान श्री सत्यनारायण की कहानी पढ़ें और मंत्र जाप करें।
  5. आरती गाने के बाद, भोजन बाँटें और उसे गरीबों या ब्राह्मणों को दें।

FAQs

प्रश्न 1. सत्यनारायण पूजा की जाती है कब और कैसे?

उत्तर1. सत्यनारायण पूजा पूर्णिमा, एकादशी या विशेष तिथियों पर की जा सकती है। इस पूजा को कुछ विशिष्ट धार्मिक विधियों से किया जाता है, जैसे मंत्र पाठ, आरती, प्रसाद बनाना और दान करना।

प्रश्न ह2. सत्यनारायण पूजा करने के क्या फायदे हैं?

उत्तर2.  सत्यनारायण की पूजा करने से लोग अच्छे कर्म करके सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति पा सकते हैं। यह पूजा बदलाव और सकारात्मक बदलाव में मदद करता है।

प्रश्न ह3. सत्यनारायण मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तर3.  भारत सहित नेपाल, गुजरात, वारणासी और मुम्बई में कई सत्यनारायण मंदिर हैं। इन मंदिरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा और ध्यान करना महत्वपूर्ण है।

नोट: अधिक जानकारी के लिए  लिंक पर क्लिक करें

 

 

 

 

Share:

Facebook
Twitter
Pinterest
LinkedIn

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *