बड़ी दीवाली: खुशियों का त्योहार
बड़ी दीवाली का त्योहार भारतीय हिन्दू समुदाय का महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है, जो आमतौर पर अक्टूबर और नवम्बर के बीच मनाया जाता है। इसे दीपावली भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है “दीपों की पंक्ति”। यह पांच दिनों का त्योहार होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और चौथा दिन भैया दूज के साथ समाप्त होता है।
बड़ी दीवाली के महत्वपूर्ण पहलू में लोग अपने घरों को सजाते हैं, उन्हें सजाते हैं और दीपों की रौशनी से रौशनी करते हैं। यह प्रकार की रौशनी लक्ष्मी माता को अपने घर में आने के लिए प्रेरित करती है, जिन्हें धन, समृद्धि और खुशी की संकेत माना जाता है।
इसके साथ ही, बड़ी दीवाली पर लोग एक दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं, अच्छे कर्मों की प्रशंसा करते हैं, और आपसी मोहभंग द्वारा समर्पण करते हैं। यह एक खुशी और एकता का प्रतीक है।
दीपावली का अर्थ (Meaning of Deepawali) –
‘दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति।
इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दीपक को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। वैदिक प्रार्थना है – ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला और ‘दीपावली’ को भी रोशनी का उत्सव कहा जाता है।
बड़ी दीवाली के महत्व
बड़ी दीवाली भारतीय समुदायों के लिए एक प्रमुख और महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। यह त्योहार हर वर्ष अक्टूबर और नवम्बर के बीच मनाया जाता है। इसका महत्व भारतीय संस्कृति, धर्म, और समाज में गहराईयों तक निहित है। अधिक जानकारी जाने अपने राज्य के साथ
यहाँ बड़ी दीवाली के महत्व के कुछ पहलू हैं:
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धर्मिक आधार
: बड़ी दीवाली का मुख्य आधार धार्मिक है। इसे आयुर्वेद, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, वास्तुशास्त्र और अन्य धार्मिक ग्रंथों में महत्वपूर्ण माना जाता है।
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घर की शुभ और सजीवता
: बड़ी दीवाली के दिन घरों की सजावट और साफ-सफाई की जाती है। लोग अपने घरों को सजाने-सवारने के लिए विशेष ध्यान देते हैं ताकि बड़ी दीवाली में खुशियों की रौनक हो।
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धन और समृद्धि की प्राप्ति
: बड़ी दीवाली दीपों की रौशनी के माध्यम से घर को रौशन करने से लोग धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए कामना करते हैं।
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परिवार के साथ समय बिताना
: बड़ी दीवाली में त्योहार परिवार के सदस्यों के साथ वक्त बिताने का अच्छा अवसर प्रदान करता है और उनके बीच एकता और प्यार को बढ़ाता है।
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आपसी समर्पण और सहयोग
: बड़ी दीवाली में लोग आपसी समर्पण और सहयोग का आदान-प्रदान करते हैं और एक दूसरे की मदद करने का आसानी से मौका प्राप्त करते हैं।
तारीख
2023 में बड़ी दिवाली की तारीख 21 अक्टूबर है। आप इस दिन बड़ी दिवाली के त्योहार को खास बनाने के लिए निम्नलिखित समय में तैयारी कर सकते हैं:
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पूजा और आराधना:
बड़ी दिवाली को पूजा और आराधना के साथ शुरू करें। घर के मंदिर या पूजा स्थल को सजाएं और देवी लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की मूर्तियों की पूजा करें।
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घर की सफाई:
बड़ी दीवाली में के पहले दिन, अपने घर की सफाई और सजावट करें, ताकि आपका घर शुभ और सुंदर दिखे।
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दिवाली के दीपक:
बड़ी दीवाली में अपने घर के दरवाजे, खिड़कियाँ और आंगन में दीपक जलाएं। दीपों की रौशनी से अपने घर को प्रकाशमय बनाएं
दीपावली का इतिहास (History of Deepawali)
दीपावली (बड़ी दीवाली) में का त्यौहार भारत में प्राचीन समय से ही मनाया जाता रहा है। इस त्यौहार का इतिहास अलग-अलग राज्यों के लोग भिन्न-भिन्न मानते हैं, लेकिन अधिकतर लोगों का मानना है कि जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत के लिए घी के दीपक प्रज्वलित किए थे और साथ ही अयोध्या के हर रास्ते को सुनहरे फूलों से सजा दिया गया था।
जिस दिन भगवान राम अयोध्या लौट कर आए थे उस दिन अमावस्या की काली रात थी। जिसके कारण वहां पर कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था, इसलिए अयोध्या वासियों ने वहां पर दीपक जलाए थे। यह भी एक कारण है कि इस दिन को अंधकार पर प्रकाश की विजय भी माना जाता है। और यह सच भी है क्योंकि इस दिन पूरा भारत अमावस्या की काली रात होने के बावजूद भी दीपकों की रोशनी से जगमगाता रहता है।
जैन धर्म के लोग बड़ी दीवाली के त्यौहार को इसलिए मनाते हैं क्योंकि चौबीसवें तीर्थंकर, महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और संयोगवश इसी दिन उनके शिष्य गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
सिख धर्म के लोग भी इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। वे लोग त्यौहार को इसलिए मनाते है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। साथ ही सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को भी इसी दिन ग्वालियर की जेल से जांहगीर द्वारा रिहा किया गया था।
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था। इस त्योहार का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है। इसी समय शरद ऋतु का आगमन लगभग हो जाता है। इससे लोगों के खान-पान, पहनावे और सोने आदि की आदतों में भी परिवर्तन आने लगता है।दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव (Celebrations celebrated with Deepawali)
दीपावली(बड़ी दीवाली) का यह त्यौहार 5 दिनों तक चलता है। जिस के पहले दिन धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन लोग अपने घर कुछ ना कुछ बर्तन जरूर लेकर जाते हैं और साथ ही साथ लोग इस दिन सोने और चांदी के आभूषण खरीदना भी पसंद करते है। लोगों का मानना है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में बरकत होती है।
दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मार गिराया था। कुछ लोगों द्वारा यह दिन छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन घर के बाहर 5 दीपक जलाए जाते है। प्राचीन परंपरा के अनुसार इस दिन लोग दीपक का काजल अपनी आंखों में डालते है। उनका मानना है कि इसे आंखें खराब नहीं होती है।
तीसरा दिन दीपावली त्यौहार का मुख्य दिन होता है। महालक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ ही साथ विद्या की देवी मां सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन घर में रंगोली बनाई जाती है और तरह-तरह की मिठाइयां बनाई जाती है।
दीपावली के चौथे दिन को गोवर्धन पूजा की जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था। इस दिन घर के बाहर महिलाएं गोबर रखकर पारंपरिक पूजा करती है।
दीपावली के त्यौहार के आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन, भाई को रक्षा सूत्र बाँधती हैं, साथ ही तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है और बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें अच्छा उपहार भी देते है। यह दिन कुछ-कुछ रक्षाबंधन त्यौहार की तरह ही होता है।बड़ी दिवाली का उत्सव
बड़ी दिवाली का उत्सव भारतीय सभ्यता और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे विभिन्न कारणों से मनाया जाता है:
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धार्मिक आधार:
दिवाली हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाने के रूप में मनाया जाता है।
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आध्यात्मिक महत्व:
दिवाली का उत्सव भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह विज्ञान के अद्वितीयता और आत्म-ज्ञान के उत्थान का प्रतीक है।
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दिवाली का उत्सव सूर्य उदय होने के बाद शुरू होता है, जिससे रात्रि के अंधेरे भाग को प्रकाशित किया जाता है। इसके साथ, यह वर्ष के सबसे बड़े नगरों में आकाश में फूलझड़ी और पटाखों के प्रदर्शनों को शामिल करता है, जिससे आसमान रंगीन होता है। -
आजीविका के रूप में:
दिवाली व्यापारी वर्ग के लिए भी महत्वपूर्ण है। व्यापारी उत्सव के रूप में इसे विभिन्न वस्त्र, आभूषण, गिफ्ट आदि को बढ़ावा देने का मौका मानते हैं।
इन कारणों से भारतीय जनसंख्या दिवाली को विशेष महत्व देती है और इसे धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव के रूप में मनाती है।
दीपावली के त्यौहार के लाभ और हानियाँ (Benefits and disadvantages of Diwali festival)
जहाँ लाभ होता है, वहाँ हानियाँ भी होती है। दीपावली एक बड़ा त्यौहार है, जो अपने साथ अपार खुशियाँ और प्रेम लेकर आता है। खुशियों के साथ-साथ कभी-कभी कुछ दुःख भी दस्तक दे जाते हैं। इन दुःखों को जान कर कुछ सावधानियाँ बरत कर उन्हें भी खुशियों में बदला जा सकता है।
दीपावली के लाभ
(1) छोटे-बड़े सभी व्यापारियों के लिए यह समय अत्यधिक कमाई का होता है।
(2) दीपावली में सभी प्रकार के व्यापार में तेजी आती है। क्योंकि लोग घर की सज-सज्जा, कपड़े, गहने और खाने-पिने की चीजों सभी पर खर्च करते हैं।
(3) दीपावली में आपसी प्रेम बढ़ता है और आपसी संबंधों में मिठास बढ़ती है।
(4) इस त्यौहार पर साफ़-सफाई पर अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है, पुरे घर की सफाई की जाती है और घर में रंग-रोगन भी किया जाता है। इससे घर के आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है, जो स्वस्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक होता है।
(5) कुटीर उद्योगों के लिए दीपावली का त्यौहार अत्यधिक खुशहाली लता है। क्योंकि दीपावली में बिकने वाला ज्यादातर सामान जैसे- साज-सज्जा का सामान और मिट्टी का सामान कुटीर उद्योगों द्वारा ही तैयार किया जाता है ,इस त्यौहार में उनकी आमदनी भी बढ़ जाती है।
दीपावली की हानियाँ –
(1) पटाखों के कारण प्रदुषण फैलता है।
(2) दीपकों में फजूल तेल जलता है।
(3) अत्यधिक मिठाइयाँ और पकवान हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं।
(4) लाइट्स की सजावट के कारण अत्यधिक बिजली बर्बाद होती है।
(5) दिखावे के चक्कर में लोग फज़ूल खर्च करते हैं।देव धाम की ओर से छोटी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
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