Kedarnath Dham केदारनाथ धाम यात्रा 2025 से पहले गरुड़चट्टी पैदल मार्ग फिर से खुलने की उम्मीद है। 2013 की आपदा में यह मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत इसका पुनर्निर्माण हो रहा है जिससे यात्रियों को सुविधा होगी और यह स्थान फिर से आबाद हो सकेगा। बता दें कि नब्बे के दशक में यहां प्रधानमंत्री मोदी ने लंबे समय तक साधना की थी।
- केदारनाथ त्रासदी के बाद सूनी पड़ी है यह चट्टी
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट
संवाद सहयोगी जागरण, रुद्रप्रयाग। Kedarnath Dham : 12 वर्षों के बाद एक बार फिर से केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित गरुड़चट्टी में फिर से चहल पहल होने की उम्मीद है। वर्ष 2013 की आपदा से पूर्व केदारनाथ यात्रा के महत्वपूर्ण पैदल पड़ावों में शामिल रहा है।

अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत इस पैदल मार्ग का निर्माण किया जा रहा है, इसी वर्ष यह पैदल मार्ग बन कर तैयार हो जाएगा, जिससे फिर से यह चट्टी एक बार आबाद हो सकेगी। हालांकि इस बीच केदारनाथ धाम से गरुड़चट्टी के लिए तीन किमी पैदल मार्ग का निर्माण किया गया, लेकिन यहां केवल साधक भक्त ही जाया करते थे, आम यात्री अभी तक आपदा के 12 वर्ष बाद इस पैदल मार्ग पर नहीं गया है।
नब्बे के दशक में नरेंद्र मोदी एक सामान्य साधक के रूप में गरुड़चट्टी में लंबे समय तक साधनारत रहे। वह प्रतिदिन गरुड़चट्टी से केदारनाथ धाम में स्वयंभू शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए पैदल जाया करते थे।
अक्टूबर 2017 में केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों के शिलान्यास को पहुंचे प्रधानमंत्री ने इस चट्टी को भी फिर से आबाद करने की इच्छा जताई थी। इसके तत्काल बाद ही चट्टी को आबाद करने की योजना तैयार की गई। अब जाकर इस वर्ष इस पैदल मार्ग के बनकर तैयार हो जाएगा।
साधना का केंद्र रही है पौराणिक चट्टी
वयोवृद्ध तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती कहते हैं कि गरुड़चट्टी का संबंध भगवान विष्णु से रहा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड़ में सवार होकर केदारनाथ आए थे। इस दौरान वे इस चट्टी में रुके और कुछ समय यहां विश्राम किया। तब से इस चट्टी का नाम गरुड़चट्टी पड़ा। यहां पर भगवान गरुड़ की मूर्ति भी स्थापित है। आपदा से पूर्व कई साधु-संत यहां वर्षभर साधना करते थे। यहां तक कि दस से बारह फीट बर्फ में भी वे यहीं रहते थे।