बारिश के मौसम में केदारनाथ यात्रा सुचारू और सुरक्षित रूप से चलती रहे, इसके लिए सोनप्रयाग से केदारनाथ तक सार्वजनिक उद्घोषणा सिस्टम (पब्लिक एड्रस सिस्टम) विकसित किया जाएगा। पैदल मार्ग पर यात्रियों को लाउडस्पीकर के माध्यम से मार्ग के बारे में जानकारी दी जाएगी। बरसात के मौसम में प्रतिदिन पांच या छह हजार तीर्थयात्रियों को ही धाम भेजा जाएगा।
गौरीकुंड से छौड़ी, चीरबासा, जंगलचट्टी, बिंबली, भीमबली, लिनचोली, छानी कैंप के मध्य बारिश के मौसम में पहाड़ियों पर चट्टानों के गिरने का खतरा रहता है। वहीं, रामबाड़ा से चानी कैंप तक एवलांच जोन है, इसलिए यह इलाका काफी संवेदनशील है। बारिश के मौसम में यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए अधिकारियों ने कार्ययोजना तैयार की है।
सभी चिन्हित स्थानों पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, यात्रा प्रबंधन बल और पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाएगा। इस बीच, पूरे पैदल मार्ग पर किसी भी स्थिति के बारे में सूचनाओं का आदान-प्रदान सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। यात्रियों को स्टेशनों पर लाउडस्पीकरों के माध्यम से मौसम और यात्रामार्ग के बारे में सूचित किया जाएगा।
मशीनों को राजमार्गों और कनेक्टिंग सड़कों पर किया जाएगा तैनात
मानसून के दौरान, मशीनों को ऋषिकेश-बद्रीनाथ और रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्गों पर सिरोहबगड़, नारकोटा, भटवाड़ीसैंण, बासंवाड़ा, सेमी-भैंसारी, नारायणकोटी, खाट गांव, चंडिका धार में तैनात किया जाएगा। साथ ही, किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हाईवे से जुड़े लिंक्ड मोटरवे पर हर 10 किलोमीटर पर मशीनें लगाई जाएंगी।
मानसून के मौसम में पैदल मार्गों पर लाउडस्पीकरों के माध्यम से यात्रियों को मौसम और परिस्थितियों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही भारी बारिश और सड़क बंद होने की स्थिति में सोनप्रयाग और केदारनाथ से यात्री नहीं छोड़े जाएंगे। । बरसात के मौसम में प्रतिदिन अधिकतम छह हजार यात्रियों को ही भेजा जा सकता है।
– मयूर दीक्षित, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग