Holika Dahan :
होली (Holi) देश का एक बेहद ही महत्वपूर्ण, बड़ा और रंगों, खुशियों भरा त्योहार है. इस वर्ष 25 मार्च को होली मनाई जाएगी. होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन मनाई जाती है. प्रत्येक वर्ष होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है. हर त्योहार को मनाने का शुभ समय और मुहूर्त होता है. होलिका दहन का भी एक मुहूर्त है. इसके अनुसार ही पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. होलिका दहन को ही छोटी होली (Chhoti Holi 2024) भी कहा जाता है. चलिए जानते हैं होलिका दहन का मुहूर्त क्या है इस बार, क्यों किया जाता है होलिका दहन, क्या है महत्व और पूजा विधि.
होलिका दहन का महत्व
ज्योतिषाचार्य और हस्तरेखाशास्त्री पंडित विनोद सोनी पौद्दार कहते हैं कि होली और होलिका दहन की तैयारी लोग एक महीने पहले से ही शुरू कर देते हैं. होलिका दहन में पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि आती है. संतान की प्राप्ति के लिए महिलाएं इस दिन पूजा करती हैं. पूजा करने के लिए कांटेदार झाड़ियों, लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है. फिर होली से एक दिन पहले शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है.
होलिका दहन मुहूर्त, क्यों जलाते हैं होलिका?
पंडित विनोद सोनी पौद्दार के अनुसार, 24 मार्च 2024 को इस बार होलिका दहन है. इस दिन सुबह 9 बजकर 47 मिनिट दिन से भद्रकाल लग रहा है, जो रात्रि 10 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. इस भद्राकाल में होलिका दहन शुभकारी नहीं होता है. इसके बाद ही होलिका दहन करना आपके लिए मंगलकारी और शुभ होगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हरिण्यकशिपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के द्वारा जीवित जला देना चाहा था. हालांकि, भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिए बनाई चिता में स्वयं होलिका जल मरी. तभी से इस दिन होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हई.
होलिका दहन की पूजा विधि
होली में अग्नि प्रज्वलित करने से पहले होलिका का पूजन करने का विधान है. इसके लिए जातक को होलिका का पूजा करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए. पूजा करने के लिए आप माला, फूल, कच्चा सूत, गुड़, रोली, गंध, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज में गेंहू की बालियां और साथ में एक लोटा जल रखें. उसके बाद होलिका के चारों ओर परिक्रमा करनी चाहिए. अगले दिन होली की भस्म लाकर चांदी की डिबिया में रखना चाहिए.
होलिका की पवित्र अग्नि में लोग जौ की बाल और शरीर पर लगाए गए सरसों के उबटन भी डालते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में खुशियां आती हैं. होलिका दहन भद्रा में कभी नहीं होता. होली के अगले दिन धुलेंडी का पर्व मातंग योग में मनाया जाएगा. दोनों दिन क्रमश: पूर्वा फागुनी और उत्तरा फागुनी नक्षत्र पड़ रहे हैं. स्थिर योग में आने के कारण होली को शुभ पर्व माना गया है.
Frequently Asked Questions (FAQs)
- When is Holika Dahan celebrated, and what is its significance?
- Holika Dahan, also known as Choti Holi or Little Holi, is celebrated on the evening of the full moon day (Purnima) during the Hindu lunar month of Phalguna. It signifies the victory of good over evil, commemorating the legend of Prahlad’s protection by Lord Vishnu and the destruction of the demoness Holika.
- What is the auspicious timing for Holika Dahan, and how is it determined?
- The auspicious timing for Holika Dahan is determined based on the Hindu calendar and the position of celestial bodies. It is usually calculated by priests or astrologers and varies each year.
- What are the rituals performed during Holika Dahan, and what do they symbolize?
- During Holika Dahan, people gather around a bonfire and perform rituals to purify the environment and ward off evil spirits. The burning of Holika effigies symbolizes the triumph of good over evil and the eradication of negativity from one’s life.
- Why is Holika, the demoness, burned during the Holika Dahan ritual?
- Holika, the demoness, is burned during the ritual to symbolize the victory of righteousness and virtue over evil forces. According to mythology, Prahlad’s devotion to Lord Vishnu protected him from harm, while Holika’s malicious intent led to her demise in the fire.
- How do people prepare for Holika Dahan, and what materials are typically used for the bonfire?
- People prepare for Holika Dahan by gathering wood, dry leaves, and other combustible materials to build the bonfire. Effigies of Holika, made of hay or other flammable substances, are also prepared to be burnt during the ritual.