सावन शिवरात्रि जो कि सावन मास के कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। एक वर्ष में 12 शिवरात्रि होती है जो प्रत्येक महीनें में आती है परन्तु सावन की शिवरात्रि विशेष होती है। भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय होता है।
शिव भक्त पूरे वर्ष अर्थात् मासिक शिवरात्रि का व्रत करते है परन्तु जो प्रत्येक मासिक शिवरात्रि का व्रत कुछ शिव भक्त सावन की शिवरात्रि में महा रूद्र-अभिषेक का आयोजन करते हैं । जिससे भगवान शिव की कृपा पाकर सुख, शांति और महोदव का आर्शीवाद प्राप्त कर सकें।नहीं कर पाता तो वह सावन की शिवरात्रि का व्रत आवश्य करना चाहिए।
श्रावण मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। चूंकि पूरा श्रावण मास शिव पूजा करने के लिए समर्पित है, सावन महीने के दौरान मास शिवरात्रि अत्यधिक शुभ मानी जाती है।
काँवड़ यात्रा में उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से लाखों भक्त भाग लेते है। जोकि हरिद्वार व गौमुख से अपनी यात्रा आरंभ करते है तथा अपने निवास स्थान अपने साथ लाये गये पवित्र गंगाजल से वह विशेषकर शिवरात्री के दिनमंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।